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एस धम्मो सनंतनो कहानी कहीं पृथ्वीराज-संयोगिता की। चला घोड़ा। उसकी टापें मीलों तक सुनायी पड़ें, ऐसी आवाज। चला घोड़ा भागता हुआ। काफी दूर निकल गए संसार से। __ प्रेमी सदा दूर निकल जाना चाहते हैं संसार से, क्योंकि संसार बड़ी बाधा देता है। यहां अड़गे खड़े करने वाले बहत लोग हैं। प्रेम में अडंगा खड़े करने वाले तो बहुत लोग हैं। सब तैयार बैठे हैं। क्योंकि खुद प्रेम नहीं कर पाए, दूसरे को कैसे करने दें! खुद चूक गए हैं, अब औरों को भी चुकाकर रहेंगे। बदला लेकर रहेंगे। यहां सब प्रेम के शत्रु हैं। ___ तो जब सपना ही देख रहे हैं, तो फिर चले संसार से दूर। युवती बड़ी प्रफुल्लित हो रही है। बड़ी खिली जा रही है। उसके हृदय की कली पहली दफे खिली है। आ गया राजकुमार, जिसकी जन्मों से प्रतीक्षा थी। उसी घोड़े पर सवार, जिस पर सदा राजा-महाराजा आते हैं; कि देवता आते हैं।
फिर उसने पूछा, युवती ने, बड़े सकुचाते हुए, बड़े शरमाते हुए-अपना ही सपना है, तो शरमाओ खूब, सकुचाओ खूब उसने पूछा कि हे राजकुमार! मुझे कहां लिए चलते हो? और राजकुमार हंसने लगा। और उसने कहाः यह सपना तुम्हारा है; तुम जहां कहो! इसमें मेरा क्या बस है! मैं इसमें आता कहां हूं! सपना तुम्हारा है।
तो वे जो तुम्हारे ऋषि-मुनि बैठ जाते हैं पहाड़ों पर...। यहां अगर स्त्री मोह लेती थी, तो वहां सपने स्त्री के ही चलेंगे। तुम जिससे भागोगे, वह तुम्हारा पीछा करेगा। तुम जिससे डरोगे, तुम उसी से हारोगे।
इसलिए मैं भागने को नहीं कहता। मैं कहता हूं : यहीं समझो, पहचानो, निखारो अपने चैतन्य को। ___ मैं जीवन-विरोधी नहीं हूं। जीवन से मेरा असीम प्रेम है। और मैं चाहता हूं कि तुम्हारा संन्यास ऐसा हो कि तुम्हारे संसार को निखार दे; तुम्हारे संसार को ऐसा बना दे कि परमात्मा झलकने लगे।
और मंजु-गुलाब ने कहा ः 'मृत्यु सिखाते हुए जीवन का प्रेमपूर्ण उल्लास दिया!'
वह दूसरा विरोधाभास है। जो मरना जानता है, वही जीना जानता है। जो मरने से डरता है, वह कभी जी नहीं पाता। कैसे जीएगा? कायर कैसे जीएगा? जो मरने से डरता है, वह जी नहीं सकता, क्योंकि जीना हमेशा मौत लाता है। जीए कि मौत!
तुमने देखा, जो जितनी त्वरा से जीएगा, उतनी जल्दी मौत आ जाती है। एक चट्टान है; पड़ी है सदियों से; मरती नहीं। और गुलाब का फूल सुबह खिला और सांझ मर गया। तुमने कभी सोचा कि गुलाब का फूल इतने जल्दी क्यों मर जाता है! इसलिए मर जाता है कि इतनी तेजी से जीता है; इतनी त्वरा से जीता है; इतनी इंटेंसिटी से, इतनी सघनता से जीता है कि जो चट्टान को सदियां लगती हैं जिस समय को पार करने में, उसे गुलाब का फूल एक दिन में पार कर जाता है। एक दिन में इतना जी
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