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एस धम्मो सनंतनो
हो यह। देखो, मैं तुम्हारा भक्त हूं!
गुरुत्वाकर्षण से कोई प्रार्थना नहीं करता। करेगा, तो मूढ़ मालूम पड़ेगा। खुद की ही आंखों में मूढ़ मालूम पड़ेगा। लेकिन एक दफा गुरुत्वाकर्षण को भी आदमी का रूप दे दो, कि गुरुत्वाकर्षण जो है वह एक देवता है, जो देखता रहता है कि कौन ठीक चल रहा है, कौन ठीक नहीं चल रहा है। जो इरछा-तिरछा चलता है, उसको गिराता है। दे मारता है। हड्डी तोड़ देता है। अस्पताल में भर्ती करवा देता है। जो सीधा चलता है, सधकर चलता है, सम्हलकर चलता है, उसको बचाता है।
यही तो है। बादल आकाश में गरजे; तुमने कल्पना कर ली इंद्र देवता की कि नाराज हो रहा है इंद्र देवता! हमसे कुछ भूल हो गयी।
बिहार में भयंकर अकाल पड़ा। और महात्मा गांधी ने पता है क्या कहा! उन्होंने कहाः यह हमारे पापों का फल है। देवता पापों का प्रतिकार, दंड दे रहा है। क्या पाप? हरिजनों के साथ जो हमने पाप किया है, उसका फल दे रहा है। लेकिन वह पाप तो पूरे देश में हो रहा है; सिर्फ बिहार में ही नहीं हो रहा है! तो बिहार के ही लोगों को क्यों सता रहा है? ये बिहारियों ने बेचारों ने क्या बिगाड़ा है?
लेकिन हम जब भी ईश्वर को व्यक्ति की तरह मान लेते हैं, तो कुछ झंझटें आनी शुरू होती हैं।
बुद्ध ने ईश्वर के व्यक्तित्व को पोंछ डाला; व्यक्तित्व को हटा दिया। रूप को गिरा दिया; अरूप बना दिया। __ वेद कहते हैं : परमात्मा अरूप है। लेकिन फिर भी उनकी प्रार्थनाएं जो हैं. वे उसको रूप मानकर ही चल रही हैं। बुद्ध ने वस्तुतः परमात्मा को अरूप कर दिया है ही नहीं परमात्मा; कोई ईश्वर नहीं है। फिर क्या है? फिर एक महानियम है। जीवन का एक शाश्वत नियम है, सब जिसके आधार से चल रहा है।
नियम की प्रार्थना नहीं की जा सकती; नियम से प्रार्थना नहीं की जा सकती। नियम की खुशामद भी नहीं की जा सकती। नियम को रिश्वत भी नहीं दी जा सकती। नियम का तो पालन ही किया जा सकता है। पालन करोगे, सुख पाओगे। नहीं पालोगे, दुख पाओगे। और ऐसा नहीं है कि नियम वहां बैठा है डंडा लिए कि नहीं पाला तो सिर तोड़ देगा! कोई वहां बैठा नहीं है। तुम नियम के विपरीत जाकर स्वयं को दंड दे लेते हो।
जब तुम शराब पीकर इरछे-तिरछे चलते, तो गिर जाते हो। ऐसा नहीं कि गुरुत्वाकर्षण देख रहा है बैठा हुआ वहां कि अच्छा, अब इस आदमी ने शराब पी! अब इसकी तोड़ो टांग! ऐसा वहां कोई भी नहीं है। जब तुम संतुलन खो देते हो, अपने संतुलन खोने के कारण ही तुम गिर पड़ते हो। . __तुम ही अपने को दंड देते, तुम ही अपने को पुरस्कार। बुद्ध ने तुम्हें सारी शक्ति दे दी। बुद्ध ने तुम्हें सार्वभौम शक्ति दे दी।
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