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एस धम्मो सनंतनो
बच्चे में इतनी ऊर्जा कहां से है? इतने छोटे प्राण, इतनी ऊर्जा! बच्चा अभी तक लड़ नहीं रहा है प्रकृति से; अभी प्रकृति के साथ है।
जब तक तुम प्रकृति के साथ हो, तब तक तुम्हारे लिए अपूर्व ऊर्जा मिलती रहेगी। जैसे ही तुम प्रकृति से अपने को भिन्न समझे, अलग समझे, जैसे ही अहंकार का जन्म हुआ, बस, वैसे ही अड़चन है। तुम्हारे अहंकार ने तुम्हारी दुर्दशा की है। ____ यह मत कहो कि 'संसार ने मुझे क्रूरतापूर्वक, बड़ी कठोरता से मेरी आशाओं पर पानी फेर दिया है।'
तुमने आशाएं ही ऐसी की होंगी कि कोई उपाय नहीं था; पानी उन पर फिरा ही होगा। और हर एक आदमी बड़ी आशाएं करता है! आशाएं करने में कोई कंजूस होता ही नहीं। तुम जिससे पूछो–उसकी आशाएं जरा पूछो–कि दिल खोलकर अपनी आशाएं कहो। तो वह ऐसी आशाएं बताएगा कि तुम चकित होओगे। सभी की ये पूरी भी कैसे हो सकती हैं!
हिंदुस्तान में ऐसा कोई आदमी है, जो प्रधानमंत्री नहीं होना चाहता? कहे, न कहे; चाहे ऊपर से विनम्रतावश कहे कि नहीं-नहीं! मगर भीतर गुदगुदी आ जाएगी कि आप पूछ रहे हैं—क्या विचार है! क्या गजब का विचार है! कैसे पहचाना आपने! यही तो मेरे भीतर उठता रहता है! अपने को किसी तरह सम्हालकर रखता हं कि कहीं यह जोर से न पकड़ ले।
अब यह आदमी अंततः कहेगा एक दिन कि मेरी सारी आशाओं पर पानी फिर गया। कितने लोग प्रधानमंत्री हो सकते हैं? और अगर सभी प्रधानमंत्री हो सकें, तो प्रधानमंत्री कौन होना चाहेगा-यह भी सवाल है!
अगर मेरा वश चले, तो मैं एक कानून बना दूं कि सभी प्रधानमंत्री हैं। बात खतम! झगड़ा खतम! मगर तब कोई नहीं होना चाहेगा। तब लोग कहेंगेः अब इस प्रधानमंत्री होने से कैसे छटें। क्योंकि यह सामान्य हो गया। प्रधानमंत्री होने का मजा यह है कि साठ करोड़ के मुल्क में एक आदमी हो सकता है। साठ करोड़ को हराकर...। उसी हराने में मजा है। ___अब साठ करोड़ लोग प्रधानमंत्री नहीं हो सकते। तो एक को छोड़कर बाकी दुखी होने वाले हैं। और कहेंगे, हमारी आशाओं पर पानी फेर दिया! और तुम यह मत सोचना कि जो प्रधानमंत्री हो गया, वह सुखी होने वाला है। वह प्रधानमंत्री होते ही कुछ और सोचने लगता है कि मैं सारी दुनिया जीत लूं। कि हिंदुस्तान से क्या होगा। अखंड भारत बना लूं। पाकिस्तान को तो कम से कम हड़प ही लूं। कि बंगलादेश को तो पी ही जाऊं। कि सिक्किम तो गया; अब नेपाल; कि अब भूटान। कि कहीं थोड़े हाथ-पैर फैलाऊं। उसकी आशाओं पर भी पानी फिरने वाला है। वह भी दुखी मरेगा। वह भी सोचेगाः सब आशाओं पर पानी फिर गया! दुनिया नहीं जीत पाया!
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