SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 341
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो हो और एक होश वाला चलता हो। गाड़ी उलट जाए। होश वाले को चोट लग जाती है; शराबी को चोट नहीं लगती। मामला क्या है? तुम शराबी को रोज देखते हो, सड़क पर पड़े हुए। तुम जरा दो-चार दफे वैसे गिरकर देखो! तुम सदा अस्पताल में ही रहोगे फिर। और शराबी रोज गिरता है! नाली में गिरता है, सड़क पर गिरता है, इस कोने, उस कोने। और सुबह तुम देखो, वे फिर मजे से चले जा रहे हैं दफ्तर। सब ठीक-ठाक है। कहीं कोई अड़चन नहीं है। ____ शराबी का गिरने का ढंग...। जब शराबी गिरता है, तो उसे पता नहीं होता कि मैं गिर रहा हूं। इसलिए गिरने से बचने के कोई उपाय नहीं करता। उपाय न करने के कारण गुरुत्वाकर्षण उसके विपरीत नहीं पड़ता। ___ तुम जब गिरते हो, तो गिरते वक्त तुम एकदम सम्हल जाते हो। सम्हलने की कोशिश करते हो। सम्हलने की जितनी कोशिश करते हो, उतनी तुम्हारी हड्डियां सख्त हो जाती हैं; तनाव से भर जाती हैं। सम्हलते-सम्हलते गिरते हो, इसलिए चोट खाते हो। छोटे बच्चे रोज गिरते हैं तुम्हारे घर में कोई ऐसी खास चोट नहीं खा जाते। ___पश्चिम के एक वैज्ञानिक ने एक प्रयोग किया। एक विश्वविद्यालय में उसने यह प्रयोग किया। उसके घर में बच्चा पैदा हुआ था; बच्चे का अध्ययन करता था। वह यह सोचकर हैरान होने लगा कि बच्चा दिनभर में इतना काम करता है, हालांकि सब बेकाम काम करता है, उसके हिसाब से। मगर इधर दौड़ा; उधर गया। कूदा-फांदा। झाड़ पर चढ़ा। नाचा। करता ही रहता है कुछ न कुछ। गुड्डा-गुड्डी यहां से वहां ढोता रहता! इतना काम करता है; इतनी शक्ति इस छोटे से बच्चे में आती कहां से है? ___उसने एक प्रयोग किया। उसने विश्वविद्यालय में जो पहलवानी में प्रथम आया था युवक, उसको कहा कि एक प्रयोग में करना चाहता हूं, अगर तुम साथ दो। तुम एक दिन सुबह से लेकर सांझ तक, मेरा बच्चा जो करे, वह करो। बस, इसके पीछे चलो। वह सबसे मजबूत आदमी था विश्वविद्यालय में। वह चार घंटे में चारों खाने चित्त होकर पड़ गया। उसने कहाः यह बच्चा तुम्हारा मार डालेगा। सांझ तक मैं बचूंगा नहीं। __ और बच्चे को आ गया मजा! आज कोई आदमी उसके पीछे-पीछे चल रहा है, तो वह और उछला, और कूदा। उसने देखा कि जो मैं करता हूं, वही यह भी करता है, तब तो उसकी हद्द हो गयी मजे की! झाड़ पर चढ़ा। टीन पर चढ़ गया। टीन पर से कूद पड़ा। झाड़ से कूदा। हजार तरह की कवायदें करने लगा। उसने चार घंटे में उस पहलवान को पस्त कर दिया। उसने कहा : तुम्हारा बच्चा मेरी जान ले लेगा। शाम तक यह प्रयोग नहीं चल सकता। मुझे क्षमा करो। चार घंटा बहुत है। 326
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy