________________
एस धम्मो सनंतनो
दफा हारा। तीन घंटे बाद, लोगों ने पूछा, फिर कैसे निकले? उसने कहा : ऐसे निकले कि जब तीन घंटे के बाद बिलकुल थक गया और गिर पड़ा, दरवाजे को धक्का लगा और दरवाजा खुल गया। सोच लिया कि आज तो प्रतिष्ठा पानी में मिल गयी।
तुम पूछते होः 'औजार कोई तरकीब कोई न जाने कहां क्या अटका है, न जाने कहां क्या जाम हुआ यह रात कि बंद होती ही नहीं, यह दिन कि उफ खलता ही नहीं औजार कोई तरकीब कोई!'
न कोई औजार है, न कोई तरकीब है। दरवाजा बंद नहीं है। तुम खोलने की कोशिश में परेशान हो रहे हो! तुम खोलने की कोशिश छोड़ो।
यहां तुमने जीवन को समस्या की तरह लिया कि तुम चूकते चले जाओगे। जीवन कोई समस्या नहीं है, जिसको सुलझाना है। न जीवन कोई प्रश्न है, जिसका उत्तर कहीं से पाना है। जीवन एक रहस्य है, जिसको जीना है।
फर्क समझ लेना समस्या और रहस्य का। समस्या का अर्थ होता है, जिसका समाधान हो। रहस्य का अर्थ होता है, जिसका समाधान हो ही न। रहस्य का अर्थ होता है, जिसका उत्तर है ही नहीं। रहस्य का अर्थ होता है : तुम खोजे जाओ। खोजते-खोजते तुम खो जाओगे, लेकिन खोज जारी रहेगी। अंतहीन है खोज।
इसलिए तो हम परमात्मा को असीम कहते हैं। असीम का अर्थ होता है, जिसकी कभी कोई सीमा न आएगी। इसलिए तो परमात्मा को हम अज्ञेय कहते हैं; जिसे हम जान-जानकर भी न जान पाएंगे। ___इसीलिए तो पंडित हार जाता है और भोले-भाले लोग जान लेते हैं। पंडित और भोले-भाले लोगों की वही हालत है, जो हूदनी की हुई। पहले वह पंडित था। तीन घंटे तक पंडित रहा। तब तक नहीं खुला दरवाजा। क्योंकि वह सोच रहा थाः ताला होना चाहिए। ताला होता, तो पांडित्य काम कर जाता। लेकिन ताला था ही नहीं, तो पांडित्य करे क्या!
समस्या है नहीं जीवन में कोई: पांडित्य करे क्या? होती समस्या, पांडित्य हल कर लेता। बुद्धि करे क्या! बुद्धि नपुंसक है। तर्क करे क्या! तर्क का बस नहीं चलता। समस्या होती, तो बस चल जाता। जिंदगी एक रहस्य है।
जब गिर पड़ा हारकर हूदनी, उसी धक्के में दरवाजा खुल गया। जो खोले-खोले न खुला, वह अपने से खुल गया। वह बंद था ही नहीं। ..
इसलिए जीसस ने कहा है : जो बच्चों की भांति भोले-भाले हैं, वे ही मेरे प्रभु
318