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एस धम्मो सनंतनो
चिंता न हो-तुम घबड़ा जाओगे। तुम सह न पाओगे। तुम उद्विग्न हो उठोगे। तुम बेचैन हो जाओगे। तुम कोई न कोई दुख रच लोगे। तुम जल्दी ही कोई दुख पैदा कर लोगे। अगर वास्तविक न होगा, तो काल्पनिक पैदा कर लोगे। बिना दुख के तुम न रह सकोगे। __इसलिए भी कि बिना दुख के तुम होते ही नहीं। मैं ही दुख पर जीता है। जहां दुख गया, मैं गया। अहंकार दुख का भोजन करता है। दुख ही अहंकार में खून बनकर बहता है। हड्डी-मांस-मज्जा बनता है। जहां दुख नहीं, वहां तुम नहीं। • इसलिए भी तुम दुख को पकड़ते हो कि इसी के सहारे तो तुम हो।
तुमने कभी खयाल किया ः तुम अपने दुखों को बढ़ा-चढ़ाकर कहते हो! जितने होते हैं, उनसे बहुत बड़ा करके कहते हो। क्यों? दुख को बढ़ाकर कहने में क्या सुख होता होगा? ___एक सुख होता है कि बड़े दुख के साथ अहंकार बड़ा होता है। छोटी-मोटी बीमारियां छोटे-मोटे लोगों को होती हैं। बड़ी बीमारियां बड़े लोगों को होती हैं। छोटे-मोटे दुख, दो कौड़ी के दुख कोई भी भोग लेता है। तुम महंगे दुख भोगते हो। तुम्हारे दुख बहुत बड़े हैं। तुम दुखों का पहाड़ ढोते हो। तुम कोई छोटे-मोटे दख से नहीं दबे हो। तुम पर सारी दुनिया की चिंताओं का बोझ है। ____ तुम अपने दुखों को बड़ा करके बताते हो। तुम बढ़ा-चढ़ाकर बात करते हो। अगर कोई तुम्हारे दुख को छोटा करने की कोशिश करे, तो तुम उससे नाराज होते हो। तुम उसे कभी क्षमा नहीं करते!
आदमी बहुत अदभुत है। तुम अपने दुख की कथा कह रहे हो और कोई उदास होकर सुने, या उपेक्षा करे, तो तुम्हें चोट लगती है; कि मैं अपने दुख कह रहा हूं
और तुम सुन नहीं रहे हो! तुम्हें चोट इस बात से लगती है कि तुम मेरे अहंकार को स्वीकार नहीं कर रहे हो! मैं इतने दुखों से दबा जा रहा हूं; तुम्हें इतनी भी फुर्सत नहीं?
दुख के द्वारा तुम दूसरों का ध्यान आकर्षित करते हो। और अक्सर यह तरकीब मन में बैठ जाती है—गहरी बैठ जाती है कि दुख से ध्यान आकर्षित होता है। बचपन से ही सीख लेते हैं। छोटे-छोटे बच्चे सीख लेते हैं। जब वे चाहते हैं, मां का ध्यान मिले, पिता का ध्यान मिले, लेट जाएंगे बिस्तर पर कि सिर में दर्द है! स्त्रियों ने तो सारी दुनिया में यह कला सीख रखी है। ___ मैं अनेक घरों में मेहमान होता था। मैं चकित होकर देखता था कि पत्नी ठीक थी, प्रसन्न थी; मुझसे ठीक-ठीक बात कर रही थी। उसके पति आए और वह लेट गयी! उसके सिर में दर्द है! पति से ध्यान को पाने का यही उपाय है। सिर में दर्द हो, तो पति पास बैठता है। सिर में दर्द न हो, तो कौन किसके पास बैठता है? और हजार काम हैं!
और एक बार तुमने यह तरकीब सीख ली कि दुख से ध्यान आकर्षित होता है,
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