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एस धम्मो सनंतनो
सब रास्ते टूट गए हैं।
अब उसने देख लिया कि मैं व्यर्थ ही भटक रहा था। बाहर जो भटकता है, व्यर्थ भटकता है। जन्मों-जन्मों यही वासनाएं, यही कामनाएं, यही तृष्णाएं, और इन्हीं-इन्हीं के सहारे दौड़ता रहा और कहीं नहीं पहुंचा।
अब मेरा पुत्र पहुंच गया है। अब वह वहां पहुंच गया है, जहां जन्म-मरण शांत हो जाते हैं। उसने स्वर्ग-नर्क का सब रहस्य जान लिया है। उसका पूर्व-जन्म क्षीण हो गया है। अब वह दुबारा नहीं आएगा। वह अनागामी हो गया है। " ___'जिसकी प्रज्ञा पूर्ण हो चुकी है, जिसने अपना सब कुछ पूरा कर लिया है, उसे मैं ब्राह्मण कहता हूं।' __बुद्ध ने ब्राह्मण की जो परिभाषा की, वही भगवत्ता की परिभाषा है। बुद्ध ने ब्राह्मण को जैसी ऊंचाई दी, वैसी किसी ने कभी नहीं दी थी। ब्राह्मणों ने भी नहीं। ब्राह्मणों ने तो ब्राह्मण शब्द को बहुत क्षुद्र बना दिया-जन्म से जोड़ दिया। बुद्ध ने आत्म-अनुभव से जोड़ा। बुद्ध ने निर्वाण से जोड़ा।
वह जो मुक्त है, वह जो शून्य है, वह जो खो गया है बूंद की तरह सागर में और सागर हो गया है, उसे मैं ब्राह्मण कहता हूं-ऐसा बुद्ध ने कहा। ____ मैंने तुमसे कहाः सभी लोग शूद्र की तरह पैदा होते हैं। और दुर्भाग्य से अधिक लोग शद्र की तरह ही मरते हैं। ध्यान रखना, फिर दोहराता हूं-सभी लोग शूद्र की तरह पैदा होते हैं। ब्राह्मण की तरह कोई पैदा नहीं होता। क्योंकि ब्राह्मणत्व उपलब्ध करना होता है; पैदा नहीं होता कोई। ब्राह्मणत्व अर्जन करना होता है। ब्राह्मणत्व साधना का फल है।
शूद्र की तरह सब पैदा होते हैं, क्योंकि सभी शरीर के साथ तादात्म्य में जुड़े पैदा होते हैं। शद्र हैं, इसीलिए पैदा होते हैं। नहीं तो पैदा ही क्यों होते? शूद्रता के कारण पैदा होते हैं। क्योंकि अभी शरीर से मोह नहीं गया। इसलिए पुराना शरीर छूट गया; तत्क्षण जल्दी से नया शरीर ले लिया। राग बना है, मोह बना है, तृष्णा बनी है—फिर नए गर्भ में प्रविष्ट हो गए। फिर पैदा हो गए।
तुम्हें कोई पैदा नहीं कर रहा है। तुम अपनी ही वासना से पैदा होते हो। मरते वक्त जब तुम घबड़ाए होते हो, और जोर से पकड़ते हो शरीर को, और चीखते हो
और चिल्लाते हो; और कहते हो : बचाओ मुझे। थोड़ी देर बचा लो। तब तुम नए जन्म का इंतजाम कर रहे हो। ___ जो मरते वक्त निश्चित मर जाता है; जो कहता है : धन्य है! यह जीवन समाप्त हुआ। धन्य-कि इस शरीर से मुक्ति हुई। धन्य–कि इस क्षणभंगुर से छूटे। जो इस विश्राम में विदा हो जाता है, उसका फिर कोई जन्म नहीं है।
तुम जन्म का बीज अपनी मृत्यु में बोते हो। जब तुम मरते हो, तब तुम नए जन्म का बीज बोते हो। और तुम जिस तरह की वासना करते हो, उस तरह के जन्म का
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