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जागो और जीओ
बीज बोते हो। तुम्हारी वासना ही देह धरेगी। तुम्हारी वासना ही गर्भ लेगी।
बुद्ध ने कहा है : तुम नहीं जन्मते, तुम्हारी वासना जन्मती है। तो जब वासना नहीं, तब तुम्हारा जन्म समाप्त हो जाता है।
सब शूद्र की तरह पैदा होते हैं। लेकिन शूद्र की तरह मरने की कोई जरूरत नहीं है। स्मरणपूर्वक कोई जीए, होशपूर्वक कोई जीए; एकांत में, मौन और ध्यान में कोई जीए, तो ब्राह्मण की तरह मर सकता है। और जो ब्राह्मण की तरह मरा, वह संसार में नहीं लौटता है; वह ब्रह्म में विलीन हो जाता है।
ये सारे धम्मपद के सूत्र, कैसे कोई ब्रह्म को उपलब्ध कर ले, कैसे कोई ब्राह्मण हो जाए, इसके ही सूत्र थे। धम्मपद का अर्थ होता है : ब्राह्मण तक पहुंचा देने वाला मार्ग; धर्म का मार्ग, जो तुम्हें ब्राह्मणत्व तक पहुंचा दे।
सुनकर ही समाप्त मत कर देना। जीना। इंचभर जीना, हजार मीलों के सोचने से बेहतर है। क्षणभर जीना, शाश्वत, हजारों वर्षों तक सोचने से बेहतर है। कणभर जीना, हिमालय जैसे सोचने से बेहतर है, मूल्यवान है।
जीओ-जागो और जीओ!
आज इतना ही।
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