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एस धम्मो सनंतनो
रिश्ता टूटे कहीं से जोड़ों का
और बिखर जाए जिस्म का पंजर इस बदन में यह रूह बेचारी बांसुरी जानकर चली आयी समझी होगी कि सुर मिलेंगे यहां लेकिन सुर यहां मिलता कहां? इस बदन में यह रूह बेचारी बांसरी जानकर चली आयी
समझी होगी कि सुर मिलेंगे यहां मगर सुर मिलता कहां है? सुर किसको मिला यहां? यहां तो सब सुर झूठे हैं। यहां तो बस, सब सुर क्षणभंगुर हैं। यहां तो सब सुर अभी हैं और अभी खंडित हो जाते हैं। और सभी सुर बेस्वाद हो जाते हैं। मीठा भी यहां जल्दी ही कडुवा हो जाता है। और यहां का अमृत भी ज्यादा देर अमृत नहीं होता। ऊपर-ऊपर अमृत है; भीतर-भीतर जहर है।
आज नहीं कल यह देह तो छोड़ देनी पड़ेगी। कहीं और तलाश करनी है। मगर अगर तुमने इस देह में ठीक से तलाश न की, तो बहुत डर है कि फिर किसी और देह को बांसुरी समझकर फिर प्रवेश कर जाओगे। ऐसा ही तो कितनी ही बार कर चुके हो। ___ अगर इस देह को ठीक से न समझा, इसके दुख ठीक से न पहचाने, इसकी व्यर्थता ठीक से न जानी, इसकी असारता को प्रगाढ़ता से अपने चित्त में नहीं बिठाया, इसकी क्षणभंगुरता न पहचानी, इसका नर्क न देखा-तो आशा लटकी रह जाएगी। सोचोगेः इस देह में नहीं हुआ, यह बांसुरी ठीक नहीं थी। चलो, न रही होगी। और भी बांसुरियां हैं। कोई और देह धरें। किसी और गर्भ में प्रवेश करें।
मरते वक्त अगर थोड़ी भी आशा जिंदा रही, तो फिर पुनर्जन्म हो जाएगा। मरते वक्त अगर तुम यह देखकर और जानकर मरे कि जिंदगी असार है; और यह असारता इतनी परिपूर्णता से तुम्हारे सामने खड़ी रही कि जरा भी आशा न उठी, जरा भी फिर जन्म लेने और फिर जीवन को देखने का भाव न उठा, तो तुम मुक्त हो जाओगे। तो तुमने जीवन भी जी लिया और मृत्यु भी जी ली। तो जीवन से जो मिलना था, वह तुमने पा लिया कि जीवन असार है। और मृत्यु फिर तुमसे कुछ भी नहीं छीन सकती-अगर तुम्हीं ने जान लिया कि जीवन असार है। क्योंकि मृत्यु जीवन ही छीनती है। तुम जान ही गए कि जीवन असार है, तो तुम मृत्यु का भी धन्यवाद करोगे।
और जो व्यक्ति मृत्यु को धन्यवाद करते हुए मर जाता है, वही मुक्त हो जाता है। वही आवागमन के पार हो जाता है।
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