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एस धम्मो सनंतनो
तुम चकित होओगे यह जानकर कि जॉन द बेप्टिस्ट-जिसने जीसस को दीक्षा दी थी, जिसके शिष्य थे जीसस—वह जेलखाने में पड़ा था। और जब जीसस की शिक्षाएं शुरू हुईं, और जेलखाने तक जॉन द बेप्टिस्ट को खबरें पहुंची, तो उसे भी संदेह हुआ कि यह आदमी क्या बातें कर रहा है! किस तरह की बातें कर रहा है! उसने एक पत्र लिखकर भेजा जीसस के पास कि मैं यह फिर से पूछना चाहता हूं कि तुम वही हो, जिसके लिए हम यहूदी सदियों से प्रतीक्षा कर रहे थे? या तुम कोई और हो? क्या हमें फिर प्रतीक्षा करनी पड़ेगी उस मसीहा की? ___यह पत्र क्यों जॉन द बेप्टिस्ट ने लिखा होगा जीसस को? इसलिए लिखा कि उसको भी समझ में नहीं पड़ा कि यह आदमी कह क्या रहा है! यह कहां की बातें ले आया है! यह कुछ बेबूझ पहेलियां ले आया है।
जीसस इस देश से संदेश लेकर गए। स्वभावतः एक नयी जाति में, जिसने यह संदेश कभी नहीं सुना था, उन्हें अब स से बात शुरू करनी पड़ी–ग गणेश का। पहली सीढ़ी से बात शुरू करनी पड़ी। लाओत्सू या बुद्ध जब बोलते हैं, या मैं जब तुमसे बोल रहा हूं, तो आखिरी सीढ़ी की बात बोल सकता हूं। उसके लिए पृष्ठभूमि है। जीसस के पास पृष्ठभूमि नहीं थी। मजबूरी थी।
विरोध जरा भी नहीं है। जिस सीढ़ी पर जीसस तुम्हें चढ़ा रहे हैं, उसी सीढ़ी पर मैं तुमसे दूसरा सत्य भी कह रहा हूं कि चढ़ना जरूर; उससे उतरना भी है-इसे भूल मत जाना।
तो तुमसे कहता हूं: मांगो। बिना मांगे कैसे मिलेगा! और तुमसे यह भी कहता हूं कि मांगना छोड़ो। मांगने से कभी मिला है! तुमसे कहता हूं : खटखटाओ, तो द्वार खुलेंगे। और तुमसे यह भी कहता हूं : अब खटखटाना बहुत हो गया। अब खटखटाना रोको। देखो, द्वार खुले ही हैं।
चौथा प्रश्नः
मैं मृत्यु से इतना नहीं डरता हूं, लेकिन दुखों से बहुत डरता हूं। मेरे लिए क्या मार्ग है?
म त्यु से शायद ही कोई डरता है। क्योंकि जिससे परिचय ही नहीं है, उससे
डरोगे भी कैसे! जिससे मुलाकात ही नहीं हुई, उससे डरोगे कैसे? लोग दुखों से ही डरते हैं। और मृत्यु से भी इसलिए डरते हैं कि पता नहीं किन दुखों में मृत्यु ले जाए! मृत्यु से भी सीधा नहीं डरते। इसी तरह डरते हैं कि पता नहीं, किन दुखों में ले जाए!
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