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________________ एस धम्मो सनंतनो है लंबी स्त्री से। तो हर पुरुष अपने से ठिगनी स्त्री खोजता है। इसका परिणाम यह होता है कि जब बेटे पैदा होते हैं, तो वे पुरुष के अनुसार लंबे हो जाते हैं। और जब बेटी पैदा होती है, तो वह स्त्री के अनुसार छोटी हो जाती है। फिर उस बेटी को भी अपने से लंबा पति मिलेगा। और इसी तरह सदियों से चल रहा है। तो धीरे-धीरे पूरी नस्ल स्त्रियों की छोटी हो गयी है। बहुत लंबी स्त्रियों को शायद पति ही न मिले होंगे! कठिन होता है। लंबी स्त्री तुम्हारे बगल में चलती हो, कोई पूछे कि आप कौन? तो पत्नी है, कहने में जरा घबड़ाहट होती है। पश्चिम में स्त्रियां इसका बदला लेने लगी हैं। इसलिए ऊंची ऐड़ी के जूते पहनने पड़ रहे हैं। वह सिर्फ बदला है पुरुष से—कि तुम क्या समझते हो! चलो, कोई बात नहीं। हम ऐसे लंबे नहीं हैं, तो हम लंबी ऐड़ी का जूता पहनकर तुम्हारे बराबर ऊंचाई कर लेंगे। पश्चिम में स्त्रियों की लंबाई बढ़ने लगी है। सौ, दो सौ वर्ष में पश्चिम में स्त्री-पुरुषों की लंबाई बराबर हो जाएगी। हर बात में स्त्री छोटी होनी चाहिए। अब जया के पति को क्या कष्ट हो सकता है! पत्नी कोई शराब नहीं पीने लगी है। कोई जुआ नहीं खेलने लगी है। पत्नी सिर्फ ध्यान कर रही है। कभी-कभी भक्ति-भाव में होकर नाचती है। जया में गुण है मीरा जैसा। खिले-तो मीरा हो जाए। इसके नाच से तकलीफ है। इसके गीत से तकलीफ है। इसकी प्रसन्नता से अड़चन है। तो या संन्यास, या घर से बाहर हो जाओ। घर से बाहर निकाल दिया है उसे। ___ अब संन्यास जिसको फल गया है, छोड़ना असंभव है। मैं भी समझाऊं, तो वह राजी नहीं होगी। मैं भी उसे कहूं कि लौट जा वापस, तो अब वह वापस नहीं लौटेगी। क्योंकि जिसे स्वाद लग गया है, अब वह पति को छोड़ने को तैयार है, घर जाने को तैयार नहीं है। अब समझ लेना। गाली तो मुझ पर पड़ने वाली है। क्योंकि समझा यही जाएगा कि मैंने भड़काया होगा। मैंने कहा होगा–छोड़ो। मैंने नहीं कहा है। लेकिन पति अपने आप धक्का दे रहा है। पति अपने आप अपने परिवार को बरबाद कर रहा है। फिर कहता फिरेगा कि मैंने परिवार बरबाद कर दिया है। अब बच्चे हैं; पत्नी घर से चली गयी; और जिम्मेवार खुद हैं। ऐसे ही उस ब्राह्मणी का परिवार विरोध में रहा होगा। छिपाते होंगे इस बात को वे कि हमारे घर की ब्राह्मणी, हमारे घर की स्त्री बुद्ध के धर्म में सम्मिलित हो गयी है। छिपाकर रखते होंगे। किसी को बताते नहीं होंगे। और यह अड़चन हो गयी कि सबके सामने, मेहमानों के सामने पैर फिसलकर मिरी और उसने कह दियाः नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासंबुद्धस्स। यह तो सारी बात खुल गयी। यह तो सबको पता चल गया कि यह ब्राह्मणी अब ब्राह्मणी नहीं रही। इसने तो बुद्ध के धर्म को अंगीकार कर लिया है। 234
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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