SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 248
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ब्राह्मणत्व के शिखर-बुद्ध यह जो असम्यक समाधि है, इसमें तीन काम हो रहे हैं। एक तो श्वास की प्रक्रिया; दूसरीः सम्मोहित करने की प्रक्रिया। और तीसरी बातः भीतर की घड़ी का उपयोग। लेकिन इससे कोई बुद्ध नहीं होता। इस तरह के हठयोगी सामान्यजन होते हैं। उनके जीवन में कोई भेद नहीं होता तुम्हारे जीवन से। तो बुद्ध ने सम्यक समाधि कहा है उसको, जिसमें कोई जबर्दस्ती न हो; बिना जबर्दस्ती थोपे, जो समझपूर्वक, बोधपूर्वक फलित हो। ___इस मंत्र का अर्थ है : जिसने अपने भीतर के शत्रुओं को सम्यक संबोधि से नष्ट कर दिया है। और ऐसे ही व्यक्ति को बुद्ध-धर्म में भगवान कहा जाता है। तो ये तीनों शब्द बड़े सूचक हैं। अरिहत या अरिहंत—जिसने अपने भीतर के शत्रु मार डाले। कैसे? सम्यक संबोधि से, चैतन्य से, ध्यान से। और जिसके भीतर ध्यान फल गया और शत्रु मर गए, उसके भीतर जो बच रहता है, वही भगवत्ता है। यह प्यारा मंत्र है। और इसका स्मरण जितना हो, उतना अच्छा है। तो यह ब्राह्मणी कोई भी मौका आए, चूकती नहीं थी। छींक आए तो; खांसी आए तो; फिसलकर गिर पड़े तो। कुछ भी मौका मिले, किसी भी निमित्त स्मरण करती थी भगवान का। उसके घर भोज था। उस दिन पैर फिसलकर गिर पड़ी भागा-भागी में। सामान लाती होगी; परसती होगी। सम्हलते ही उसने कहाः नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासंबुद्धस्स। इसे सुनकर उसके पति के भाई भारद्वाज ने उसे बहुत डांटा। सारा परिवार विरोधी था बुद्ध का। ___ ऐसा रोज यहां होता है। जया बैठी होगी कहीं। उसके पति ने उसे अल्टीमेटम दे दिया है कि अगर संन्यासी रहना है, तो मेरा घर बंद। अगर मेरे घर आना है, तो संन्यास की बात छोड़ दो। अब कुछ भी बिगड़ता नहीं है पति का उसके संन्यस्त होने से। लेकिन दंभ को चोट लगती होगी; अहंकार को पीड़ा होती होगी। यह बात भी बर्दाश्त नहीं की जा सकती कि मेरी पत्नी ध्यान में मुझसे आगे जा रही है कि मुझसे ज्यादा शांत हो रही है। __ पति का दंभ बड़ा भयंकर होता है। पत्नी किसी भी स्थिति में पति से आगे नहीं होनी चाहिए। इसलिए तो लोग लंबी स्त्री से शादी नहीं करते। शरीर में भी लंबी नहीं होनी चाहिए। हद्द हो गयी! पढ़ी-लिखी स्त्री को वर नहीं मिलते। क्योंकि वह कम पढ़ी-लिखी होनी चाहिए। पुरुष का अहंकार! अगर पुरुष बी.ए. है, तो वह पीएच.डी. लड़की से शादी नहीं करेगा। वह कहेगा ः हम चपरासी मालूम पड़ेंगे। तो लड़की कम से कम मैट्रिक हो, तो चलेगी। इसलिए सदियों तक आदमी ने स्त्रियों को पढ़ने नहीं दिया। और इसमें कुछ आश्चर्य नहीं है कि स्त्रियों की लंबाई नीची क्यों रह गयी है। कोई कारण नहीं है। लंबाई उनकी पुरुषों जैसी हो सकती है। लेकिन कोई पुरुष शादी करने को राजी नहीं 233
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy