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________________ ब्राह्मणत्व के शिखर-बुद्ध था। हाथ से प्याला गिरकर टूट गया; उस दुष्ट का सुबह चेहरा देखा था! अब तुम दिनभर याद करते रहोगे उस दुष्ट का चेहरा, और तुम्हें पचास कारण मिल जाएंगे। रास्ते पर केले के छिलके पर फिसलकर गिर पड़े; उस दुष्ट का चेहरा देखा था! और तब तुम और आश्वस्त हो गए कि इस आदमी का चेहरा बड़ा खतरनाक है। अब दुबारा इससे बचना है। कहीं दुबारा फिर न दिखायी पड़ जाए! दुबारा दिखायी पड़ेगा, तो और अड़चन हो जाएगी। तुम्हारी धारणा मजबूत होती चली जाएगी। ___ यह आदमी बुद्ध-विरोधी है। बुद्ध के पास कभी गया नहीं है। मिथ्या-दृष्टि ब्राह्मण। इसने एक बात तय कर रखी है कि बुद्ध गलत हैं। बुद्ध गलत हैं, तो उनके शिष्य भी गलत ही होंगे-स्वभावतः। तो सारिपुत्र गलत होना ही चाहिए। उसने कहाः छोड़ो बकवास। तुम कहते हो, उन्हें कोई क्रोधित नहीं कर पाता, इसमें उनकी कोई गुणवत्ता नहीं है। सच बात यह है कि उन्हें कोई क्रोधित करना न जानता होगा; ठीक बटन दबाना न आता होगा। मुझ पर छोड़ो यह काम। मैं उन्हें क्रुद्ध करके बता दूंगा। देख रहे हैं, उसकी एक दृष्टि है। वह यह मानने को तैयार ही नहीं है कि कोई आदमी ऐसा हो सकता है, जो क्रोधित न हो। कम से कम बुद्ध का शिष्य तो ऐसा नहीं हो सकता। तो फिर एक ही बात हो सकती है कि जिन लोगों के द्वारा सारिपुत्र क्रोधित नहीं किए जा सके हैं, उन्हें क्रोधित करना न आता होगा। उन्होंने ठीक रग न पकड़ी होगी। उसने कहाः मुझ पर छोड़ो यह काम। उन्हें कोई क्रोधित करना जानता न होगा। देखो, मैं क्रोधित करता हूं। ___ नगरवासी हंसे। कभी-कभी भोले-भाले लोग ज्यादा समझदार सिद्ध होते हैं, बजाय पंडितों के। वे हंसे। उन्होंने कहा कि यह पागलपन की बात है कि तुम सारिपुत्र को क्रोधित कर लोगे। फिर भी, तुम क्रोधित कर सको, तो करके देखो। __ उस ब्राह्मण ने दोपहर में स्थविर को भिक्षाटन करते देख पीछे से जाकर लात से पीठ पर मारा। - इन छोटी-छोटी कथाओं में एक-एक बात अर्थपूर्ण है। अक्सर बुद्धपुरुषों पर जो लातें मारी जाती हैं, वे सदा पीछे से ही मारी जाती हैं। सामने से तो हिम्मत नहीं होती। सामने से तो घबड़ाहट लगेगी। क्योंकि वे आंखें, वह चेहरा, वह प्रसाद कहीं रोक दे; कहीं झिझक आ जाए; कहीं हिचक आ जाए। इसलिए बुद्धों की जो निंदा होती है, वह पीछे से होती है; सामने से नहीं होती है। _ और ध्यान रखना, जो पीछे निंदा करता है, वह कायर है। उसे अपनी निंदा पर भी भरोसा नहीं है; अपने पर भी भरोसा नहीं है। ___ इस आदमी ने आकर पीछे से सारिपुत्र को लात मारी। लेकिन स्थविर ने पीछे लौटकर नहीं देखा। 219
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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