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एस धम्मो सनंतनो
क्योंकि जिसके हाथ में सत्ता है, तुम उससे राजी हो जाते हो।
आदमी तथ्यों की व्याख्याएं कर लेता है। जैसी करना चाहता है, वैसी कर लेता है।
बुद्ध किसको सम्यक-दृष्टि कहते हैं? किसको मिथ्या-दृष्टि कहते हैं? बुद्ध कहते हैं: जो व्याख्या करता है, वह मिथ्या-दष्टि है। जो व्याख्या नहीं करता. जो विचारशून्य होकर, निर्विचार होकर देखता है, वह सम्यक-दृष्टि है। अगर विचार पहले से ही तुम्हारे भीतर है, तो तुम तथ्य को कैसे देखोगे? तुम्हारा विचार तथ्य को रंग देगा। तथ्य को वैसा बना देगा, जैसा तुम्हारा विचार चाहता है। तुम वही देख लोगे, जो तुम देखना चाहते थे या जो तुमने देखने का तय ही कर रखा था।
एक आदमी ने एक किताब लिखी है कि तेरह का आंकड़ा बहुत बुरा है। हजार पृष्ठ की किताब है। सारी दुनिया से उसने हजारों प्रमाण इकट्ठे किए हैं। पढ़ोगे, तो तुम्हें भी भरोसा आ जाएगा कि तेरह का आंकड़ा खराब है। __ अमरीका में ऐसी धारणा है कि तेरह का आंकड़ा खराब है। बड़े होटलों में तेरहवीं मंजिल नहीं होती, क्योंकि तेरहवीं पर कोई रुकना नहीं चाहता। बारहवीं के बाद सीधी चौदहवीं मंजिल आती है। तेरहवीं मंजिल होती ही नहीं। नहीं तो कोई रुके ही नहीं तेरहवीं मंजिल में। तेरह नंबर का कमरा लोग बरदाश्त नहीं करते। तेरह नंबर से बचते हैं। तेरह तारीख को सम्हलकर चलते हैं।
तो इस आदमी ने सब इकट्ठा किया है कि तेरह तारीख को कितने लोग आत्महत्या करते हैं; तेरह तारीख को कितने लोग पागल होते हैं; तेरहवीं मंजिल से कितने लोग गिरकर मर जाते हैं। तेरहवें नंबर की बस में चलने वालों में कितनी दुर्घटनाएं होती हैं। उसने सारे आंकड़े इकट्ठे किए हैं-तेरह से संबंधित सब। - एक मित्र मेरे पास उसको लेकर आए थे। मैंने कहा उनसे कि तुम ऐसा करो कि तुम चौदह तारीख के संबंध में खोजबीन करो। इतने ही लोग चौदह को भी मरते हैं; और चौदहवीं मंजिल से भी गिरते हैं; और चौदह नंबर की बस भी टकराती है।
और चौदह नंबर की कार भी पहाड़ से गिर जाती है। तुम चौदह के पीछे पड़ जाओ, तो तुम चौदह के लिए भी इतने ही आंकड़े जुड़ा लोगे। आंकड़े जुड़ाने में कुछ अड़चन नहीं है।
जिंदगी बहुत बड़ी है। उसमें अगर हमने कुछ तय ही कर रखा है, तो हम वही चुन लेते हैं। तुमने अगर मान रखा है कि सुबह से इस आदमी की शक्ल देखने से सब खराब हो जाएगा, तो खराब नहीं होता; किसी की शक्ल देखने से क्या खराब होना है! लेकिन तुमने अगर मान रखा है और वे सज्जन सुबह से मिल गए रास्ते पर घूमते; तुमने कहाः मारे गए! ये महाराज के दर्शन हो गए; आज दिन खराब होगा। __अब आज दिन में जो-जो खराबी होंगी, वे होने ही वाली थीं। मगर सब इन्हीं के ऊपर जाएंगी। पैर में कांटा गड़ गया; तुम कहोगेः उस दुष्ट का सुबह चेहरा देखा
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