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________________ ब्राह्मणत्व के शिखर-बुद्ध गए हैं, लेकिन कभी तय नहीं हुआ कि किसने हमला किया। तय हो ही नहीं सकता। क्योंकि एक पक्ष कहे चला जाता है कि दूसरे ने हमला किया। दूसरा पक्ष कहे जाता है कि उसने हमला किया। फिर जो जीत जाता है, वह इतिहास की किताबें लिखता है। जो जीत जाता है, वह अपने पक्ष को किताबों में डाल देता है। जब स्टैलिन रूस का तानाशाह बना, तो उसने सारा इतिहास बदल दिया रूस का। सारा इतिहास बदल दिया। अपने विरोधियों की तस्वीरें निकाल दीं। अपने विरोधियों के नाम निकाल दिए। जहां तस्वीरें खुद की नहीं थीं, वहां फोटोग्राफी की कलाबाजी से अपनी तस्वीरें डलवा दीं। सब जगह अपना नाम डाल दिया; अपने पक्षपातियों का नाम डाल दिया। जब तक स्टैलिन सत्ता में रहा, वही इतिहास रूस में चला। बच्चों ने वही पढ़ा। स्टैलिन के मरते ही बात बदल गयी। स्टैलिन के विरोधियों ने स्टैलिन का नाम फिर पोंछ दिया। यही तो अभी हो रहा है दिल्ली में। कैप्सूल खोदा जा रहा है। इंदिरा ने एक कैप्सूल रखा था; वह एक व्याख्या है। स्वभावतः, उसमें कुछ नाम नहीं होंगे। जैसे सुभाष का नाम नहीं होगा। या होगा, तो कहीं टिप्पणी में होगा, पाद-टिप्पणी में। किसी मूल्य का नहीं होगा। स्वभावतः, उसमें सरदार पटेल का नाम नहीं होगा। या होगा भी, तो गौण होगा। और निश्चित ही उसमें मोरारजी भाई का नाम नहीं है। __उसे निकालना पड़ेगा। निकाला जा रहा है। खोदा जा रहा है। फिर से टाइम कैप्सूल बनाया जाएगा। उसमें इंदिरा विदा हो जाएगी। उसमें नेहरू सिकुड़कर छोटे हो जाएंगे। उसमें वल्लभभाई फैलकर कुप्पा हो जाएंगे! उसमें मोरारजी भाई बिलकुल बीच में विराजमान हो जाएंगे। उसमें जगजीवनराम और चरणसिंह-सब बैठ जाएंगे। लेकिन कितनी देर यह चलेगा? दो-चार-पांच साल बाद फिर कोई सत्ता में आएगा। फिर टाइम कैप्सूल उखाड़ना पड़ेगा! ऐसा सदा होता रहा है। शायद नया टाइम कैप्सूल जो मोरारजी भाई बनवाएं, उसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भी गुण-गाथा हो। और शायद उसमें कहा जाए कि नाथूराम गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अंग नहीं था। और गांधी की हत्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई हाथ नहीं है। उसमें चीजें बदलेंगी, क्योंकि मोरारजी भाई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बल पर खड़े हैं। टाइम कैप्सूल उसके ही बल पर लिखा जाएगा। सारा इतिहास बदलेगा। पूना में ऐसे लोग हैं, जो नाथूराम गोडसे को महात्मा नाथूराम गोडसे कहते हैं! जन्म-तिथि मनाते हैं। मिठाइयां बांटते हैं। अगर कल कभी आर.एस.एस. के हाथ में इस मुल्क की शक्ति आ गयी, तो महात्मा गांधी विदा हो जाएंगे। उनकी मूर्तियां चौराहों से हटा ली जाएंगी; वहां गुरु गोलवलकर, नाथूराम गोडसे—महात्मा नाथूराम गोडसे की मूर्तियां खड़ी हो जाएंगी। और तुम उससे भी राजी हो जाओगे! 217
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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