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ब्राह्मणत्व के शिखर-बुद्ध
से अच्छे आदमी में कुछ बुरा खोजो। सुंदर से सुंदर में कोई दाग खोजो। चांद की फिकर छोड़ो। चांद पर वह जो काला धब्बा है, उसकी चर्चा करो। क्योंकि लोग धब्बे में उत्सुक हैं, चांद में उत्सुक नहीं हैं। चांद की बात करो, तो कोई अखबार खरीदेगा ही नहीं। __इसलिए जो. पत्रकारिता है, वह मूलतः निंदा के रस की ही कला है। कैसे खोज लो-कहीं से भी कुछ गलत कैसे खोज लो! और जब तुम खोजने का तय ही किए बैठे हो, तो जरूर खोज लोगे। क्योंकि जो आदमी जो खोजने निकला है, उसे मिल जाएगा।
यह दुनिया विराट है। इसमें अंधेरी रातें हैं और उजाले दिन हैं। इसमें गलाब के फूल हैं और गुलाब के कांटे हैं। जो आदमी निंदा खोजने निकला है, वह कहेगा कि दुनिया बड़ी बुरी है। यहां दो रातों के बीच में एक छोटा सा दिन है। दो अंधेरी रातें,
और बीच में छोटा सा दिन! और जो प्रशंसा खोजने निकला है, वह कहेगा कि दुनिया बड़ी प्यारी है। परमात्मा ने कैसी गजब की दुनिया बनायी है : दो उजाले दिन; बीच में एक अंधेरी रात।
जो आदमी निंदा खोजने निकला है, वह गुलाब की झाड़ी में कांटों की गिनती कर लेगा। और स्वभावतः कांटों की गिनती जब तुम करोगे, तो कोई न कोई कांटा हाथ में गड़ जाएगा। तुम और क्रोधाग्नि से भर जाओगे। अगर कांटा हाथ में गड़ गया और खून निकल आया, तो तुम्हें जो एकाध फूल खिला है झाड़ी पर, वह दिखायी ही नहीं पड़ेगा। तुम अपनी पीड़ा से दब जाओगे। तुम गालियां देते हुए लौटोगे। ___ जो आदमी फूल को देखने निकला है, वह फूल से ऐसा भर जाएगा कि उसे कांटे भी प्यारे मालूम पड़ेंगे। वह फूल से ऐसा रस-विमुग्ध हो जाएगा कि उसे यह बात दिखायी पड़ेगी कि कांटे जरूर भगवान ने इसीलिए बनाए होंगे कि फूलों की रक्षा हो सके। ये फूलों के पहरेदार हैं। . सब तुम पर निर्भर है; कैसे तुम देखते हो; क्या तुम देखने चले हो।
यह बुद्ध-विरोधी ब्राह्मण था। इसने तय ही कर रखा था। न यह कभी बुद्ध के पास गया था...। ___ यह बड़े आश्चर्य की बात है कि विरोधी पास जाते ही नहीं। विरोधी दूर-दूर रहते हैं। विरोध करने के लिए यह जरूरी है कि वे दूर-दूर रहें। पास आएं तो खतरा है। पास आएं तो डर है कि कहीं ऐसा न हो कि हमारा विरोध गल जाए। तो विरोधी पीठ किए खड़ा रहता है; दूर-दूर रहता है। सुनी-सुनायी बातों में से चुनता है। फिर उन चुनी हुई बातों को भी बिगाड़ता है; अपना रंग देता है। फिर उनको विकृत करता है; विकृति को बढ़ाता है। फिर उस विकृति में जीता है और सोचता है कि मुझे तथ्यों का पता है।
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