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एस धम्मो सनंतनो
इस परम घड़ी को बुद्ध इस ब्राह्मण पर नहीं छोड़ सकते हैं। इस ब्राह्मण का कुछ भरोसा नहीं है। इसलिए स्वयं उसके द्वार पर जाकर रुक गए। गए तो थे भिक्षाटन को; उसके द्वार पर जाने की बात न थी।
द्वार पर जाकर खड़े हो गए। उस समय ब्राह्मण घर में बैठकर द्वार की ओर पीठ करके भोजन कर रहा था।
ब्राह्मण को तो कुछ पता ही नहीं था, क्या होने वाला है। किस घड़ी में मैं आ गया हूं, उसे कुछ पता नहीं है। वह तो सामान्य-जैसे रोज अपने भोजन के समय भोजन करता होगा-भोजन कर रहा था। द्वार की ओर पीठ किए था। उसे यह भी पता नहीं कि बुद्ध आ रहे हैं।
तुम्हें भी पता नहीं कि कब बुद्ध तुम्हारे द्वार पर आते हैं। तुम्हें भी पता नहीं कि कब तुम्हारे द्वार पर दस्तक देते हैं। __जीसस का प्रसिद्ध वचन है: मांगो और मिलेगा। खोजो और पाओगे। खटखटाओ और द्वार खोल दिए जाएंगे।
लेकिन साधारण आदमी की दशा इससे ठीक उलटी है। वह कहता है : दो और मैं नहीं लूंगा। आओ, मैं पीठ कर लूंगा। द्वार खटखटाओ, मैं खोलने वाला नहीं।
ब्राह्मण को इतना भी पता नहीं कि बुद्ध का आगमन हो रहा है। नहीं तो पीठ किए बैठा होता!
इसलिए मैं कहता हूं, इन छोटी-छोटी बातों में खयाल करना। तुममें से भी अधिक मेरी तरफ पीठ किए बैठे हैं! इसका मतलब यह नहीं कि तुम पीठ किए बैठे हो। हो सकता है : तुम बिलकुल सामने बैठे हो। मुझे देख रहे हो। लेकिन फिर भी मैं तुमसे कहता हूं, जो मुझे देख रहे हैं, उनमें से भी बहुत से पीठ किए बैठे हैं। जो मुझे सुन रहे हैं, उनमें से भी बहुत से पीठ किए बैठे हैं। पीठ किए बैठे हैं, अर्थात रक्षा कर रहे हैं अपनी। अपने को गंवाने की तैयारी नहीं दिखा रहे हैं। अपने को विसर्जित करने की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं।
ब्राह्मण द्वार की ओर पीठ किए भोजन कर रहा था। परम घड़ी आ गयी; संन्यास का क्षण करीब आ गया; बुद्ध द्वार पर खड़े हैं। और वह एक छोटी सी प्रक्रिया में लगा था-भोजन! __यह भी समझ लेना। भोजन का अर्थ है: यह साधारण जो रोजमर्रा का जीवन है-खाना-पीना, उठना-सोना। खाते-पीते, उठते-सोते आदमी जन्म से लेकर मृत्यु तक की यात्रा पूरी कर लेता है। खाने-पीने में ही तो सब चला जाता है!
भोजन कर रहा था। उसे पता नहीं कि भगवत्ता द्वार पर खड़ी है! वह भोजन कर रहा है। वह एक छोटे से काम में लगा है। एक दैनंदिन कार्य में लगा है। कालातीत द्वार पर खड़ा है और उसे इसकी कुछ खबर नहीं है! __आदमी ऐसा ही सोया हुआ है। तुम्हारी राह पर भी बहुत बार बुद्ध का आगमन