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बुद्धत्व का आलोक
पार-अपार दोनों से पार। फिर जो शेष रह जाता है शून्य; वहां मैं का भाव भी नहीं है। उसे जो जान लेता है, उसे मैं ब्राह्मण कहता हूं।
और जो उसे जान लेता.है, स्वभावतः वीतभय हो जाता है। फिर उसे क्या भय! अब उसके पास कुछ बचा नहीं, जिसे छीन लोगे। उसने सब स्वयं ही छोड़ दिया है। अब तो शून्य बचा, जिसे कोई छीन नहीं सकता; जिसे छीनने का कोई उपाय नहीं है। अब तो वही बचा, जिसकी मृत्यु नहीं हो सकती। इसलिए भय कैसा! वह अभय को उपलब्ध हो जाता है।
और असंग हो जाता है। अब उसको किसी के साथ की जरूरत नहीं रह जाती। साथ की जरूरत भय के कारण है। समझ लेना।
इसीलिए बुद्ध ने कहाः वीतभय और असंग।
तुम साथ क्यों खोजते हो? इसलिए कि अकेले में डर लगता है। पत्नी डरती है अकेले में। पति डरता है अकेले में। अकेले में डर लगता है। अकेले में याद आने लगती है मौत की; घबड़ाहट होती है। कोई दूसरा रहता है, मन भरा रहता है। __ तुमने कभी देखा! अकेली गली से गुजरते हो रात। सीटी बजाने लगते हो! कुछ करते नहीं बनता, तो सीटी बजाओ! फिल्मी गाना गाने लगते हो। फिल्मी गाना नहीं; अगर धार्मिक किस्म के आदमी हो, तो राम-राम या हनुमान-चालीसा पढ़ने लगे! सब एक ही है। कुछ फर्क नहीं है।
मगर क्यों? सीटी की आवाज, अपनी ही आवाज है। लेकिन उसको सुनकर ऐसा लगता है कि चलो, कुछ तो हो रहा है! कुछ है। हालांकि सीटी की आवाज से कोई भूत-प्रेत भागेंगे नहीं। भूत-प्रेत हैं नहीं कि जो भागें। मगर सीटी की आवाज से तुमको ऐसा लगता है कि चलो, सब ठीक है। कुछ कर तो रहे हैं! गाना गाने लगे जोर से। अपनी ही आवाज सुनकर ऐसा लगता है, जैसे कोई और मौजूद है। भूल गए।
आदमी अपने को भुला रहा है। इसलिए संग-साथ खोज रहा है।
बुद्ध ने कहा : वही ब्राह्मण है, जिसे संग-साथ की कोई जरूरत नहीं रही; जो असंग है। और जो वीतभय है। ____'जो ध्यानी, निर्मल, आसनबद्ध, कृतकृत्य, आस्रवरहित है, जिसने उत्तमार्थ को पा लिया है, उसे मैं ब्राह्मण कहता हूं।'
जो ध्यान में डूब रहा है। ध्यान यानी निर्विचार। जो निर्मल हो रहा है। निर्विचारता निर्मलता लाती है। विचार चालाकी है। ___तुमने देखा! जितना आदमी पढ़ा-लिखा हो जाता है, उतना चालाक, धोखेबाज, पाखंडी हो जाता है। जितने विचार बढ़ जाते हैं, उतना आदमी बेईमान हो जाता है। पढ़ा-लिखा आदमी और बेईमान न हो, जरा कठिन है।
और हम सोचते हैं, बड़ी उलटी बात हो रही है। हम कहते हैं कि यह मामला क्या है? विश्वविद्यालय से लोग आते हैं पढ़-लिख करके और इनमें सिवाय
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