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एस धम्मो सनंतनो
में बस जब कि वह कूदने को ही था-अंधेरी रात में कोई हाथ पीछे से उसके कंधे पर आया।
बुद्ध का हाथ है ही इसीलिए कि जब तुम अंधेरे में होओ, और जब तुम जीवन के प्रति इतने उदास, इतने खिन्न हो जाओ, कि अपने को मिटाने को तत्पर हो जाओ, तब बुद्ध का हाथ है ही इसलिए कि तुम्हारे कंधे पर आए।
गुरु का अर्थ ही यही है कि वह तुम्हें तलाशे। जब तुम्हें जरूरत हो, तंब उसका हाथ पहुंच ही जाना चाहिए। तुम्हारी जरूरत हो और उसका हाथ न पहुंचे, तो फिर गुरु गुरु नहीं है। तुम कितने ही दूर होओ, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम हजारों मील दूर होओ, इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता। जब तुम्हारी वास्तविक जरूरत होगी, गुरु का हाथ तुम्हारे पास पहुंचेगा ही। पहुंचना ही चाहिए। वही तो अनुबंध है-शिष्य और गुरु के बीच। वही तो गांठ है-शिष्य और गुरु के बीच। वही तो सगाई है-शिष्य और गुरु के बीच।।
कोई हाथ पीछे से कंधे पर आया। उसने लौटकर देखा। भगवान सामने खड़े थे। मगर यह देह नहीं थी। यह भगवान की देह नहीं थी। यह भगवान का वही रूप नहीं था, जो अब तक देखता रहा था। आज कुछ अभिनव घटित हुआ था। इस मृत्यु के क्षण में...।
अक्सर ऐसा हो जाता है। जब आदमी मरने ही जा रहा है, जब मरने के लिए आखिरी कदम उठा लिया है-एक क्षण और, और समाप्त हो जाएगा तो मन अपने आप रुक जाता है, अवरुद्ध हो जाता है। ऐसी घड़ियों में मन को चलने की सुविधा ही नहीं रहती। मन को चलने के लिए भविष्य चाहिए।
इसे समझ लेना। जब कोई आदमी मरने जा रहा है, तो भविष्य तो बचा ही नहीं। बात खतम हो गयी। अब मन को चलने को क्या रहा? मन को चलने को जगह चाहिए। आगे दीवाल आ गयी-मौत आ गयी।
इसीलिए तो बूढ़ा आदमी पीछे लौट-लौटकर सोचने लगता है। आगे तो दीवाल है, वहां सोचने की जगह नहीं है। जवान सोचता है : कल बड़ा मकान बनाऊंगा। सुंदर स्त्री लाऊंगा। ऐसा होगा, वैसा होगा। वह भविष्य की सोचता है। मन आगे की तरफ दौड़ता है।
बूढ़ा आदमी एक दिन देखता है : आगे तो अब कुछ भी नहीं है। आगे तो मौत है। अब आगे क्या सोचना? वह मौत से बचने के लिए मौत की तरफ पीठ कर लेता है, पीछे की तरफ सोचने लगता है। वह कहता है : क्या जमाने थे! राम-राज्य था। स्वर्णयुग था। बीत गया। अब कैसा भ्रष्ट युग आ गया! दूध इस भाव बिकता था। घी इस भाव बिकता था! गेहूं इस भाव बिकता था! वह इन बातों को सोचने लगता है। वह अपने पचास, साठ या अस्सी साल पहले जो स्थितियां थीं, उनका विचार करने लगता है। कैसे सुंदर दिन थे? कैसे अच्छे लोग थे!
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