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बुद्धत्व का आलोक
कम-ज्यादा। और एक बार तुम्हारी जिंदगी का चार्ट तुम्हारे सामने हो जाए, तो बहुत लाभ का है। फिर तो तुम अपने दरवाजे पर लिखकर टांग सकते हो-कि सोमवार, मुझसे सावधान ! कि मंगलवार, आपका स्वागत है! और फिर तुम उसके अनुसार जी भी सकते हो। ___अगर तुम्हारा सोमवार बुरा दिन है...। और तुम्हें अनजाने इसका अनुभव भी होता है। लोग जानते भी हैं कि फलां दिन मेरा बुरा दिन है। हालांकि उन्हें साफ नहीं होता कि मामला क्या है! क्यों बुरा दिन है? ज्योतिषी से पूछने जाने की जरूरत नहीं है। ज्योतिषी को क्या पता? उसको अपना पता नहीं है; तुम्हारा क्या खाक पता होगा!
एक ज्योतिषी को एक बार मेरे पास लाया गया जयपुर में। उसकी एक हजार रुपए फीस एक बार हाथ देखने की! उसने कहा : एक हजार रुपए मेरी फीस है हाथ देखने की। मैंने कहाः तुम बेफिक्री से देखो। उसने हाथ देख लिया। बड़ा खुश था कि एक हजार रुपए मिलते हैं। जब हाथ देख लिया, उसने कहा : मेरी फीस? मैंने कहाः वह तो मैं पहले से ही तय था कि नहीं दूंगा। तुम्हें इतना भी पता नहीं है? तुम घर से अपना हाथ देखकर तो चला करो! तुम मुझे देखकर यह भी न समझ सके कि यह आदमी एक हजार रुपए नहीं देगा। और मैं जोर से यह दोहरा रहा था अपने भीतर, ताकि तुम्हें सुनायी पड़ जाए। अगर तुममें थोड़ा भी ज्योतिष हो, तो समझ में आ जाए कि भाई! दूंगा नहीं! यह मैं कह ही रहा था भीतर बार-बार। तुम जब हाथ पकड़े बैठे थे, तब मैं दोहराता ही रहा कि हजार रुपए दूंगा नहीं, दूंगा नहीं। मेरी तरफ से तुम्हें मैंने धोखा नहीं दिया है। लेकिन तुम ज्योतिषी कैसे!
उसकी हालत तो बड़ी खस्ता हो गयी! अब वह क्या कहे! ज्योतिषी को तो अपना पता नहीं है।
मैंने तो यह भी सुना है : एक गांव में दो ज्योतिषी थे। वे दोनों सुबह निकलते अपने-अपने घर से, बाजार जाते धंधा करने। तो एक-दूसरे का हाथ देखते रास्ते में-भई! आज कैसा धंधा चलेगा? - अपना ही पता नहीं है; तुम्हें दूसरे का क्या पता होगा फिर!
नहीं; ज्योतिष से नहीं पता चलता। तुम्हें अपने जीवन का निरीक्षण करना होगा, तो पता चलेगा। और एक बार तुम्हें पता हो जाए कि सोमवार या शनिवार या रविवार मेरा खराब दिन है। इस दिन कुछ न कुछ दुर्घटना होती है, तो उस दिन छुट्टी ले लो। वह तुम्हारा छुट्टी का दिन होना चाहिए।
रविवार की छुट्टी नहीं मिलनी चाहिए। दुनिया अगर व्यवस्थित हो विज्ञान से, तो आदमी को उस दिन छुट्टी मिलनी चाहिए जो उसका बुरा दिन है, ताकि वह लोगों के संपर्क में न आए। ताकि वह अपने घर में चादर ओढ़कर सो जाए। मौन रखे। बाहर न निकले। दरवाजा बंद रखे। अगर क्रोध उठे भी, तो तकिया पीट ले; मगर बाहर न जाए। हां, उसका जो अच्छा दिन है, उस दिन वह संपर्क बनाए; लोगों से
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