SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 152
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजनीति और धर्म हैं। संतुलन रखती हैं। अक्सर ऐसा होगा कि सुंदर स्त्री की जबान कडुवी होगी; व्यवहार कठोर होगा; हेकड़पन होगा; अहंकार होगा। सुंदर स्त्री भीतर से दुर्गंध देगी। सुंदर पुरुष के साथ भी यही बात है। कुरूप स्त्री-परिपूरक खोजने पड़ते हैं उसे। देह में तो सौंदर्य नहीं है, इसलिए सेवा करेगी प्रेम करेगी; चिंता लेगी। दुर्व्यवहार न करेगी, क्योंकि दुर्व्यवहार तो वैसे ही काफी हो रहा है! वह तो चेहरे के कारण ही काफी हुआ जा रहा है; देह के कारण ही काफी हुआ जा रहा है। अब और तो क्या सताना! तो अक्सर ऐसा हो जाता है, कुरूप व्यक्ति भीतर से सुंदर हो जाते हैं। बाहर से सुंदर व्यक्ति भीतर से कुरूप हो जाते हैं। सुंदर को अकड़ होती है कि तुम नहीं तो कोई और सही! कुरूप को अकड़ नहीं होती; तुम ही सब कुछ हो! पर स्त्री थी तो कुरूप ही। मुल्ला जब उसे घर ले आया, तो मुसलमानों में पूछते हैं; स्त्री घर आकर पूछती है कि मैं अपना बुर्का किसके सामने उठा सकती हूं? किसके सामने नहीं उठा सकती हूं? किसके सामने आज्ञा है? - तो पता है, मुल्ला ने क्या कहा ! मुल्ला ने कहा कि मुझे छोड़कर तू सबके सामने अपना बुर्का उठा सकती है। और यह कहानीः आफिस का समय होने के कारण बस में अत्यधिक भीड़ थी। सामने की सीट पर एक नव-विवाहित जोड़ा बैठा था, जिसके सामने एक भद्र पुरुष रॉड पकड़कर खड़े-खड़े सफर कर रहे थे। एक जगह बस के अचानक झटके से रुकने से भद्र महोदय खुद को सम्हाल न पाए और नव-वधु की गोद में गिर पड़े। फिर क्या था, वह महाशय का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। लगे उन । महाशय को बुरा-भला कहने। लोगों ने समझाने की कोशिश की कि इस हालत में कोई भी गिर सकता था। किंतु वर महाशय तो और भी ज्यादा भड़क उठे। बोलेः बस, बस, आप लोग चुप रहिए। अगर आपकी पत्नी की गोद में कोई बैठे तो क्या आप इसे सहन करेंगे? ___मुल्ला नसरुद्दीन यह सब बैठा हुआ सुन रहा था। वह उठकर आया। उसने कहाः यह रहा मेरा कार्ड। मेरा नाम मुल्ला नसरुद्दीन है। आप इस पते पर किसी भी समय आ सकते हैं और जितनी देर चाहें मेरी पत्नी की गोद में बैठ सकते हैं। ___ अब पत्नी कुरूप है, तो यहां सुंदर और है क्या! इस संसार में सभी तो कुरूप है। इस संसार में हर चीज तो सड़ जाती है। इस संसार में हर चीज तो कुरूप हो जाती है। सुंदरतम स्त्री भी एक दिन कुरूप हो जाती है। और जवान से जवान आदमी भी एक दिन मुहता है और बूढ़ा हो जाता है। सुंदर से सुंदर देह भी तो एक दिन चिता पर चढ़ा देनी पड़ेगी। करोगे क्या! यहां सुंदर है क्या? इस जगत की असारता को ठीक से पहचानो। इस जगत की व्यर्थता को ठीक 137
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy