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एस धम्मो सनंतनो
क्योंकि मेरा प्रेम ही स्वीकार नहीं हुआ। और अब दिल एक टूटी हुई वीणा है। मेरी पीड़ा पर भी, जिससे मुझे प्रेम था, उसे दया नहीं आयी। अब इस टूटे-फूटे जीवन को प्रभु को कैसे चढ़ाऊं?
वात तो बड़ी ऊंची कह रहे हैं! जब टूटा-फूटा नहीं था, तब चढ़ाया नहीं। तब
सोचा होगा कि अभी तो वीणा ताजी है, जवान है; अभी किसी सुंदर स्त्री के चरणों में चढ़ाएं। अभी कहां प्रभु को बीच में लाते हो! देखेंगे पीछे। तब यह सोचकर अपने को समझाया होगा कि अभी तो जवान हैं, अभी भोग लें। यह चार दिन की जिंदगी, फिर क्या पता! अंतिम समय में याद कर लेंगे प्रभु को। अभी तो यह चार दिन की जो चांदनी है, इसको लूट लें। __ तो जब तुम जवान थे, जब हृदय संगीत से भरा था, तब इसलिए नहीं चढ़ाया कि चढ़ाएं किसी सुंदर देह के चरणों में। और अब कहते हो कि टूट-फूट गया। अब क्या प्रभु के चरणों में चढ़ाएं! तुमने कसम खा रखी है कि प्रभु के चरणों में कभी नहीं चढ़ाओगे! ___ अब तो जागो। टूट-फूट गया दिल, फिर भी जागते नहीं! अब भी इरादा यही है कि अगर वह देवी मिल जाए भूल-चूक, तो चढ़ा दें। कब जागोगे? ___और ध्यान रखना ः सबके दिल टूट-फूट जाते हैं। तुम्हारी मनोकांक्षा का व्यक्ति मिले, तो टूट-फूट जाते हैं; न मिले, तो टूट-फूट जाते हैं। दिल तो टूट ही फूट जाते हैं। यह दिल तो बड़ी कच्ची चीज है। कांच की बनी है। कच्चे कांच की बनी है। तम अकेले रहो, तो टूट जाता है; तुम संग-साथ में रहो, तो टूट जाता है। यह टूट ही जाता है। इसकी कोई मजबूती है नहीं। यह मजबूत हो ही नहीं सकता। क्योंकि जिसको तुम दिल कहते हो, यह गलत के लिए प्रेम है; यह कच्चा ही होगा। __ और तुम इस भ्रांति में मत रहना कि जिससे मुझे प्रेम था, उसने मेरे प्रेम का प्रत्युत्तर नहीं दिया, इसलिए टूट गया। तो तुम जरा उन प्रेमियों से पूछना जाकर, जिनको प्रत्युत्तर मिला है, उनकी क्या हालत है! ___मुल्ला नसरुद्दीन की पत्नी ने एक दिन उससे कहा कि हमारे पच्चीस साल पूरे हो गए विवाह के। अब क्या इरादा है, आज इस पच्चीसवीं वर्षगांठ को कैसे मनाएं? मुल्ला ने कहाः अगर पांच मिनट चुप रहें, तो कैसा रहे!
और क्या! पच्चीस साल की बकवास! यह पत्नी खोपड़ी खा गयी होगी। मुल्ला कह रहा है कि अब पांच मिनट चुप रह जाएं। जैसा जब कोई मर जाता है न, तो पांच मिनट लोग मौन हो जाते हैं। ऐसा अगर पांच मिनट मौन होकर मनाएं, तो कैसा रहे!
तुम जरा भुक्त-भोगियों से तो पूछो!
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