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________________ एस धम्मो सनंतनो हैं, तो जरूर मेरे भीतर कुछ होना चाहिए। नहीं तो क्या कारण था कि इतने लोग...! __हालांकि यह भ्रम जल्दी टूटेगा। एक दफा पद से उतरो, पता चलेगा कि वह जो बहुत बड़ी तस्वीर दिखायी पड़ती थी, रोज छोटी होती जाती है, छोटी होती जाती है। यह पद से उतरने पर पता चलता है कि जो तुम्हारे पास फूल-मालाएं लेकर आते थे. वे वे ही लोग हैं, जो अब जतों की मालाएं लेकर आने लगे। ये ही लोग फल फेंकते थे, ये ही लोग पत्थर फेंकने लगते हैं। ये वे ही लोग हैं। और यह स्वाभाविक है कि ये पत्थर फेंकें; क्योंकि अब इनको फूल दूसरों पर फेंकने पड़ते हैं। और जब भी कोई फूल फेंकता है राजनेता पर, तो भीतर तो वह देखता है...दो बातें घटती हैं उसको। मानता है कि तुम्हारे पास ताकत है। लेकिन यह भी भीतर अनुभव होता है कि ठीक है, आज तुम पर है तो ठीक है; फिंकवा लो फूल। कभी तो उतरोगे नीचे मंच से, फिर देख लेंगे। फिर वही आदमी बदला लेता है। इसलिए पद पर राजनेता ऐसा सम्मानित होता है, और पद से उतरते ही एकदम अपमानित हो जाता है। मगर राजनेता जब पद पर होता है, तो उसको अपने भीतर भरोसा आ जाता है कि ठीक। तो मेरा यह खयाल गलत था कि मैं ना-कुछ हूं। मैं कुछ हूं। देखो, सारी दुनिया मुझे मानती है। यह भ्रांति है। तुम्हीं अपने को नहीं मानते; सारी दुनिया के मानने से क्या होगा? . तुम ही अपने को नहीं जानते, सारी दुनिया तुम्हें जान ले, इससे क्या होगा? यह झूठी प्रवंचना है। लेकिन समझने की कोशिश करना : तुम अपने को नहीं जानते, इस बात को भुलाने के लिए तुम इस कोशिश में लग जाते हो कि दुनिया मुझे जान ले। सब अखबारों में मेरी तस्वीरें हों। सारे रेडियो पर मेरा व्याख्यान हो। सारे टेलीविजन पर मैं प्रदर्शित किया जाऊं। ___यह तुम क्या कर रहे हो? तुम्हारे भीतर एक खयाल जग रहा है कि मैं अपने को नहीं जानता। बजाय इसके कि तुम अपने को जानने में लगो, तुम एक झूठे रास्ते पर चल रहे हो कि मैं दूसरों को जना दूं कि मैं कौन हूं। तुम्हें खुद ही पता नहीं है! __ यही फर्क है। राजनीति का अर्थ है : दूसरे जान लें कि मैं कौन हूं। और धर्म का अर्थ है : मैं जान लूं कि मैं कौन हूं। धर्म अंतर्यात्रा है। राजनीति बहिर्यात्रा है।। राजनीति के मैं विरोध में सिर्फ इसलिए दिखायी पड़ता हूं कि भीतर जो हीनता की ग्रंथि है, वह जो रोग का असली कारण है, जहां से जहर उठता है, वह तोड़ना जरूरी है। __ और ध्यान रखना ः जब तक तुम्हारे सामने साफ न हो जाए कि राजनीति धर्म का झूठा परिपूरक है, तब तक तुम धार्मिक न हो सकोगे। तब तक तुम धर्म के नाम पर भी राजनीतिज्ञ ही हो जाओगे। तुम त्याग कर दोगे और दुनिया को दिखाने लगोगे कि मुझसे बड़ा त्यागी कोई नहीं है। सिद्ध कर दूंगा कि मुझसे बड़ा त्यागी कोई 118
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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