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राजनीति और धर्म
एक धोबन अपने गधों को हांकती घर की तरफ आ रही थी कि रास्ते में एक मसखरा मिल गया। और उसने कहा : गधों की अम्मा! सलाम !
मालूम है, उस धोबन ने क्या कहा ? उस धोबन ने कहा : खुश रहो बेटा ! और कहे भी क्या !
एक सज्जन हैं : मियां बब्बन । झक्की स्वभाव के हैं। जहां खड़े होते हैं, लगते हैं पूछने । एक बार वे एक बड़ी दुकान में घुस गए। दाल कितने में होगी किलो भर? और यह टूथ ब्रश ? और यह पेस्ट तो घटिया लग रही है! खैर, फिर भी कितने में दोगे? और यह हेयर ब्रश ?
दुकानदार बड़ी शांति से भाव बताता जा रहा था । आखिर बब्बन मियां जब सब चीजों के दाम पूछ चुके; सुबह से सांझ होने के करीब आ गयी । तो फोन के पास आकर रुके और बोले : क्यों मियां! यह फोन कितने का होगा ?
एक सीमा होती है ! दिनभर खराब कर दिया इस आदमी ने। दुकानदार भी ... । बड़ा दुकानदार रहा होगा; बरदाश्त करता रहा, करता रहा, करता रहा। अब जब यह फोन के भी दाम...। जब सब चीजें ही दुकान की पूछ चुके, अब फोन ही बचा । शायद अब आगे बड़े मियां का दाम पूछे ! कि आपके कितने दाम हैं!
दुकानदार बड़ी शांति से भाव बताता जा रहा था। अब जरा बात उसे सीमा के बाहर जाती मालूम पड़ी। जब बब्बन मियां ने पूछा : क्यों मियां ! यह फोन कितने का होगा ? दुकानदार चिल्लाया: एक-एक नंबर घुमाने के पचास-पचास पैसे । कान से लगाने के तीन पैसे। मुंह से हर शब्द बोलने के पैसे, तार की तरह । बब्बन मियां बोले : मैंने तो समूचे फोन के दाम पूछे थे जनाब! आप चिल्लाने क्यों लगे ?
समूचे ही फोन के दाम पूछ रहे हैं वे !
कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें प्रयोजन भी नहीं है । किसलिए पूछ रहे हैं, यह भी नहीं है उनको पता। पूछने के लिए पूछ रहे हैं। कुछ खरीदना नहीं है ।
जब मैं देखता हूं कि तुम सिर्फ पूछने के लिए पूछ रहे हो, तो मेरे पास इतना समय नहीं है कि सुबह से शाम तक खराब करूं । जो पूछने के लिए पूछ रहा है, उसको तो मैं कठोर उत्तर देता हूं। वही उसे मिलना चाहिए।
जो कुतूहलवश पूछ रहा है, वह गलत जगह से पूछ रहा है। हां, जिज्ञासा हो, तो मेरा उत्तर कोमल होता है । और अगर मुमुक्षा हो, तो मैं अपने सारे प्राण तुम्हारे प्रश्न के उत्तर में डाल देता हूं। तुम सच में ही मुक्त होने के लिए पूछ रहे हो, तो फिर मैं सारी चेष्टा करता हूं।
लेकिन जब मैं देखता हूं कि यह खुजली ही जैसी बात है, खुजलाहट हो रही है तुम्हारी खोपड़ी में कुछ तो मैं खुजलाता नहीं। क्योंकि खुजलाने से खुजलाहट और बढ़ती है। फिर मैं कठोर उत्तर ही देना पसंद करता हूं।
तुम्हें वही मिलना चाहिए, जो तुम्हारी जरूरत है।
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