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________________ एस धम्मो सनंतनो और स्त्री का अस्वीकार किया; इसलिए दुनिया बड़ी दीन रह गयी है। दुनिया में युद्ध कम हों, अगर स्त्री भी इतनी ही स्वीकृत हो, जितना पुरुष स्वीकृत है। दुनिया में प्रेम थोड़ा ज्यादा हो-उसकी जरूरत है बहुत कि ज्यादा हो। जब प्रेम कम पड़ जाता है, तो संगीने बढ़ती हैं, तलवारें बढ़ती हैं, बम बढ़ते हैं। स्त्री स्वीकृत हो, संतुलित हो। स्त्री और पुरुष समान हैं। इसलिए कबीर ने कहा ः जब मीरा आए...। ___ मीरा को खोजा गया। जब मीरा आकर नाची, तब कबीर बोले। निश्चित ही इस बोलने में गुणवत्ता का फर्क हो गया। मीरा नाची, तब कबीर बोले। मीरा के नाचने में ही तरलता आ गयी। वे गंभीर पंडितों के चेहरे शिथिल हो गए होंगे। तर्कजाल थोड़ा भीतर कम हुआ होगा। खोपड़ियों से उतरे होंगे पंडित; हृदय में डूबे होंगे थोड़ा। मीरा नाची। उसने घुघर बांधे। पद धुंघरु बांध मीरा नाची रे! वातावरण शीतल हो गया होगा। थोड़े से जुही के फूल झर गए होंगे। फिर कबीर बोले। अब यह एक अलग वातावरण में बोले। तुम कहां की फिजूल बकवास लिए बैठे हो कि इतिहास...!. यह कोई विश्वविद्यालय थोड़े ही है। यहां इस तरह की फिजूल बातों की चर्चा ही नहीं हो रही है। यहां तो इसकी भी फिकर नहीं कि कबीर हुए कि नहीं हुए! कि मीरा हुई कि नहीं हुई। इसकी भी कोई फिकर नहीं है। कहानी इतनी प्यारी है कि कहानी की वजह से कबीर को होना पड़ेगा, मीरा को होना पड़ेगा। कहानी का अपने में मूल्य है; उसका काव्य ऐसा है। लेकिन तुम्हारी दृष्टि क्षुद्र पर अटक जाती है! तुम क्षुद्र हिसाब-किताब में लगे रहते हो। जो हुआ, उसका पक्का होना चाहिए। और ध्यान रखोः पक्का उसी का हो पाता है—जितना क्षुद्र हो, उतना पक्का हो जाता है। जैसे अडोल्फ हिटलर हुआ, इसमें कोई शक-सुबहा नहीं होता। क्योंकि अडोल्फ हिटलर इतना ध्वंसात्मक है कि अनेक खंडहर अपने पीछे छोड़ जाता है—प्रतीक और गवाह। __ कृष्ण हुए, यह संदिग्ध है। हुए हों न हुए हों! क्योंकि कृष्ण जो लाए थे इस जगत में, वह तो उनके साथ ही तिरोहित हो गया; उसका कोई तो प्रमाण मिलता नहीं। खंडहर तो नहीं छोड़ गए यहां कोई। लाशों से तो नहीं पाट गए पृथ्वी को। पत्थरों पर कोई हस्ताक्षर भी नहीं कर गए। आए, खिले फूल की तरह सुबह, और सांझ खो गए। और जब फूल खो गया और वास उड़ गयी आकाश में, तो कहां खोजोगे! कहां प्रमाण खोजोगे? कृष्णों का कोई प्रमाण नहीं है। बुद्धों का कोई प्रमाण नहीं है। जीसस का कोई प्रमाण नहीं है। प्रमाण है नादिरशाह का। प्रमाण है तैमूरलंग का। प्रमाण है नेपोलियन का, सिकंदर का। इनके प्रमाण हैं। इस बात की सदा संभावना है कि आज से दो हजार साल बाद रमण का कोई 108
SR No.002389
Book TitleDhammapada 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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