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विराट की अभीप्सा
झलक, हवा का एक झकोरा सा आता है। और बुद्ध जिस ध्यान की बात करते हैं, यद्यपि पूरा-पूरा नहीं सम्हलता, लेकिन कभी-कभी, कभी-कभी खिड़की खुलती है। क्षणभर को सही, मगर बड़े अमृत से भर जाती है। यह हो तो रहा है। अभी बूंद-बूंद हो रहा है, कल सागर-सागर भी होगा। बूंद-बूंद से ही तो सागर भर जाता है। __ऐसा बार-बार जाता और बार-बार वहां से और भी ज्यादा प्रफुल्लित और आनंदित होकर लौटने लगा। यह तो उसकी साधना हो गयी। जब-जब उदासी उत्पन्न होती, वृक्ष के पास जाता; हल को देखता, वापस लौट आता। ऐसा अनंत बार हुआ होगा!
भिक्षुओं ने उसे बार-बार जाते देखकर तो उसका नाम ही नंगलकुल रख दिया। वे कहने लगे : यही इसका परिवार है। क्योंकि आदमी अपने परिवार की तरफ जाता है। कोई अपनी पत्नी को छोड़ आया, तो सोचता है : वापस जाऊं। फिर अपनी पत्नी को लेकर गृहस्थ हो जाऊं। कोई अपने बेटे को छोड़ आया; सोचता है : जाऊं। अब बेटे को फिर स्वीकार कर लूं और गृहस्थ हो जाऊं। - इसका कोई और नहीं है। यह नंगलकुल है। इसका एक ही कुल है; एक ही परिवार है। वह है नंगल। उसमें कुछ है भी नहीं सार। उसको कोई चुरा भी नहीं ले जाता। झाड़ पर अटका है; कोई ले जाने वाला भी नहीं है गांव में। मगर यही उसकी कुल संपदा है। उसका नाम रख दिया-नंगलकुल। __ वह न मालूम कितनी बार गया! न मालूम कितनी बार आया! लेकिन हर बार जब आया, तो बेहतर होकर आया। हर बार जब आया, तो निखरकर आया। हर बार जब आया, तो और ताजा होकर आया। यह तो घटना भीतर घट रही थी। बाहर तो किसी को पता नहीं चलता था कि भीतर क्या हो रहा है।
एक दिन हल के दर्शन करके लौटता था कि अर्हत्व को उपलब्ध हो गया।
पकती गयी बात। पकती गयी बात। पकती गयी बात। एक दिन फल टपक गया। एक दिन लौटता था नंगल को देखकर और बात स्पष्ट हो गयी। अतीत गया; वर्तमान का उदय हो गया।
अर्हत्व का अर्थ होता है : चेतना वर्तमान में आ गयी। अतीत का सब जाल छूट गया; सब झंझट छूट गयी। यही क्षण सब कुछ हो गया। इस क्षण में चेतना निर्विचार होकर प्रज्वलित होकर जल उठी।
और फिर उसे किसी ने दुबारा नंगल को देखने जाते नहीं देखा। स्वभावतः भिक्षुओं को जिज्ञासा उठी। पूछा : आवुस नंगलकुल! अब तू उस वृक्ष के पास नहीं जाता है? ___ नंगलकुल हंसा। हंसा अपनी मूढ़ता पर जो वह हजारों बार गया था। और उसने कहाः जब तक आसक्ति रही अतीत से, तब तक गया। जब तक संसर्ग रहा, तब तक गया। अब तो नाता टूट गया। अब न मैं नंगल का, न नंगल मेरा। अब तो मेरा कुछ
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