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एस धम्मो सनंतनो
ही। इसलिए पति-पत्नी के बीच जो कलह है, वह शाश्वत है। उस कलह का मूल कारण पति और पत्नी की कोई खराबी नहीं है; अज्ञानी का प्रेम है। दोनों मांग रहे हैं!
दो भिखारी रास्ते पर खड़े हो गए। समझ लो कि दोनों अंधे भिखारी हैं। इसलिए देख भी नहीं पाते कि दूसरा भी भिखारी है। दोनों एक-दूसरे के सामने हाथ फैलाए खड़े हैं कि कुछ मिल जाए। दया करो। ___वही दशा है पति-पत्नियों की। अंधे; देख भी नहीं सकते कि दूसरा बेचारा खुद ही भिखारी है। इससे क्या मांग रहे हैं! और दूसरा भी मांग रहा है कि कुछ मिल जाए। और दोनों ही दुखी होंगे, क्योंकि मिलना तो है नहीं। देने की तैयारी किसी की वहां है नहीं। देने को वहां कुछ है ही नहीं, तैयारी भी कैसे हो! सब खाली-खाली है; रिक्त है।
इसलिए इस जगत में सभी प्रेमी समझते हैं कि धोखा दिया गया; कि कहां से इस स्त्री की झंझट में पड़ गया! इतनी स्त्रियां थीं, जिनसे मिल सकता था।
किसी से नहीं मिलने वाला था। तुम उनके पतियों से तो पूछो जाकर कि उनको क्या मिला। वे सोचते हैं कि शायद तुम्हारी पत्नी मिल जाती, तो उन्हें कुछ मिल जाता! ___ मैंने सुना है : एक यहूदी पुरोहित को एक युवक ने आकर कहा कि मुझे क्षमा कर दें। मुझे बिलकुल क्षमा कर दें! मैं महापापी हूं। यहूदी पुरोहित ने कहा : लेकिन मझे पता तो चले कि क्या पाप है। उस युवक ने कहाः मत पूछे। बस, मुझे क्षमा कर दें। यह पाप ऐसा है कि मैं कह न सकूँगा। लेकिन, पुरोहित ने कहा, तुम मुझसे कह सकते हो। और बिना जाने मैं क्षमा भी कैसे कर दूं! .
तो मजबूरी में उस युवक ने कहा कि मामला यह है कि कई बार मेरे मन में आपकी पत्नी के प्रति वासना उठती है। मुझे क्षमा कर दें।
उस यहूदी पुरोहित ने उसके सिर पर हाथ रखा और कहा : बेटा, घबड़ा मत। मेरे मन में भी तेरी पत्नी के प्रति विचार उठते हैं। तू निश्चित रह। इसमें कुछ अपराध नहीं है, क्योंकि यह हालत मेरी भी है।
यही हालत है। जो तुम्हें नहीं मिला है, सोचते हो, शायद उससे मिल जाता।
इस जगत में भिखारी भिखारियों के सामने खड़े हैं। किसी सम्राट को खोजो। मगर सम्राट को खोजने का ढंग सम्राट होना है। इसलिए बड़ी मुसीबतें हैं। सम्राट के पास सम्राट होकर ही पहुंच सकते हो। भिखारी को राजमहल में प्रवेश भी नहीं मिलेगा।
सम्राट को खोजने का उपाय सम्राट होना है। अगर बुद्धों से सत्संग चाहते हो, तो ध्यानी बनो। धीरे-धीरे तुम्हारा सम्राट भी भीतर पैदा हो। फिर खूब प्रेम बरसता है। प्रेम ही प्रेम बहता है। प्रेम की रसधार बहती है। ..
वह जैसे-जैसे विपस्सना को उपलब्ध होता है, और जैसे-जैसे देखता है: संसार में सब क्षणभंगुर है; यहां कुछ ठहरने वाला नहीं है, वैसे-वैसे ज्ञानियों की
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