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________________ एस धम्मो सनंतनो झूठ को लाता है। और बड़ा झूठ और बड़े झूठ को लाता है। सिलसिला शुरू हो जाता है! तुम एक झूठ बोलो तुम पाओगे कि तुम्हें अनंत झूठ बोलने पड़ रहे हैं। क्योंकि एक झूठ की रक्षा के लिए उससे बड़ा झूठ बोलना पड़ता है, नहीं तो उसकी रक्षा कैसे होगी? एक छोटा सा सत्य बोलो, और तुम पाओगेः उसके साथ गुणों की श्रृंखला आती है। एक सत्य दूसरे सत्य को बोलने में समर्थ बनाता है। सत्य बोलो; प्रामाणिकता, निष्ठा, ईमानदारी, आस्था चुपचाप तुममें पैदा होने लगती हैं। एक सत्य का आघात तुम्हारे भीतर न मालूम कितनी सुगंधियों को बिखेर जाता है! और ऐसा ही असत्य का आघात दुर्गंधों को बिखेर जाता है। ___ इस युवक ने सुंदर स्त्री को चुनते समय सोचा भी न होगा कि चोरी करनी पड़ेगी। कौन सोचता है? चोरी करते वक्त सोचा भी न होगा कि प्राणदंड मिलेगा। कौन सोचता है? ऐसे ही तो आदमी बेहोश चल रहा है; इसी का नाम बेहोशी है! जब मैं तुम से कहता हूं : होश, तो मतलब समझ लेना। जो भी तुम करो, बहुत होश से सोचकर, विचारकर, ध्यानपूर्वक करना। क्योंकि प्रत्येक कदम किसी दिशा में तुम्हें अग्रसर कर रहा है। कहीं ऐसा न हो कि तुम जाल में उलझते चले जाओ। ऐसे ही बहुत उलझ गए हो। ऐसे ही जन्म-जन्म उलझ गए हैं। ऐसे ही सारा यात्रा-पथ कांटों से भर गया है! अब थोड़ा फूंक-फूंककर चलो। अंततः चोरी करते वह रंगे हाथों पकड़ा गया। और ध्यान रखना ः निन्यानबे दफा धोखा दे दो, सौवीं बार पकड़े ही जाओगे। मन यह भी कहता है कि अगर कुशलता से धोखा दिया, तो कौन पकड़ेगा? कैसे पकड़ेगा! लेकिन चाहे कितनी ही देर लगे, चोरी पकड़ ही जाएगी; देर-अबेर हो सकती है, अंधेर नहीं हो सकता है। जीवन का शाश्वत नियम है। और ऐसा ही पुण्य के संबंध में समझना। आज पुण्य का फल न मिले; कल पुण्य का फल न मिले; कितनी ही देर हो जाए, लेकिन फल मिलता है। आज नहीं कल; कल नहीं परसों; परसों नहीं और आगे। मगर एक न एक दिन तुमने जो बीज बोए हैं, उनकी फसल पकती है। और जो तुमने बोया है, वही तुम्हें काटना पड़ता है। जैसा बोया है, वैसा ही काटना पड़ता है। जहर बोया, तो जहर काटना पड़ता है। अमृत बोया, तो अमृत। नीम को पानी देते रहोगे, तो कड़वे फल हाथ लगेंगे। आम को पानी दोगे, तो मीठे फल हाथ लगेंगे। यह सीधा सा गणित है। लेकिन इस गणित को भी हम समझ नहीं पाते, क्योंकि देर-अबेर लगती है। आज चोरी की और दस साल बाद पकड़े जाओगे। भूल ही चुकोगे तब तक, कि चोरी की थी। दोनों में संबंध जोड़ना मुश्किल हो जाएगा! __ तुम्हें पता है, अफ्रीका में ऐसी आदिम जातियां हैं अभी भी, जिनको इस सदी 78
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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