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तृष्णा को समझो ध्यान रखना ः अगर राजा का बेटा साम्राज्य खो दे, तो सिवाय भिखारी होने के और कोई उपाय नहीं रह जाता। या चोर हो जाए। दो ही उपाय बचते हैं । सम्राट के बेटे ने कभी कुछ किया तो था नहीं, जो कर सके। सम्राट ही हो सकता था। एक ही कला जानता था — सिंहासन पर बैठने की। अब सिंहासन गया। तो अब दो ही विकल्प बचते हैं : या तो भिखारी हो जाए, या चोर हो जाए। और जिसमें थोड़ा भी सम्मान है, वह भिखारी होने की बजाय चोर होना पसंद करेगा।
यह युवक जब घर आया, तो उसके परिवार ने इसे महापतन मानकर उसे घर से निकाल दिया।
वे दिन बड़े अदभुत थे। अब दुनिया बदली है। अब तो तुम संन्यस्त हो जाओ, तो घर के लोग समझेंगे : महापतन हो गया ! वे दिन और थे । संन्यस्त कोई होता था, तो घर के लोग सौभाग्य मानते थे। चलो ! एक व्यक्ति तो संन्यस्त हुआ घर में ! एक दीया तो जला! एक फूल तो खिला ! लोग सम्मानित होते थे । और जब कभी कोई संन्यास से भ्रष्ट होता था, तो घर के लोगों की पीड़ा का अंत नहीं रह जाता था।
घर के लोगों ने इसे महापतन मानकर उसे घर से निकाल दिया ।
यह अपमानजनक था परिवार के गौरव के लिए। यह परिवार के स्वाभिमान के लिए भयंकर चोट थी— कि उनका बेटा बुद्ध के पास जाकर, महाकाश्यप जैसे अदभुत व्यक्ति के शिष्यत्व को स्वीकार करके, और पतित हो जाए ! यह उनकी चेतना - धारा पर बड़ा लांछन था । उन्होंने बेटे को निकाल बाहर कर दिया।
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वह और कुछ तो जानता नहीं था, सो चोरी करके जीवन-यापन करने लगा। ध्यान रहे : एक भूल हो, तो उसके पीछे हजार भूलें आती हैं। इस दुनिया में गुण अकेले आते, न दुर्गुण अकेले आते। एक गुण जीवन में आए, तो उसके पीछे कतार बंधे हुए और गुण आ जाते हैं। और एक दुर्गुण जीवन में आए, तो उसके पीछे कतार बंधे हुए और दुर्गुण आ जाते हैं !
इसलिए बहुत सोच-सोचकर चुनाव करना। क्योंकि जब तुम एक का चुनाव करते हो, तब तुमने एक का चुनाव नहीं किया; उसके साथ अनजाने अनेक का चुनाव कर लिया, जिनका तुम्हें पता भी नहीं, जो कतार बांधे पंक्तिबद्ध पीछे खड़े हैं !
जिस आदमी ने एक झूठ बोला, उसे हजार झूठ बोलने पड़ेंगे ! एक झूठ बोलते वक्त ठीक से समझ लेना कि तुम हजारों झूठ बोलने का निर्णय ले रहे हो – सिर्फ एक झूठ बोलने का निर्णय नहीं ।
अक्सर मन कहता है कि जरा सा झूठ है, बोल देने से क्या बनता है? एक दफा बोले, खतम हुई बात; फिर गंगा स्नान कर आएंगे, या मंदिर दान दे देंगे, या ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन करवा देंगे, या यज्ञ-हवन करवा लेंगे! कुछ कर लेंगे इसका प्रतिकार, पश्चात्ताप। जरा सा झूठ है, इसके पीछे क्यों झंझट में पड़ना !
जब भी कोई बोलता है, जरा सा झूठ बोलता है। लेकिन जरा सा झूठ और बड़े
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