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________________ एस धम्मो सनंतनो तुम्हारे पास मकान था, पत्नी थी, कार थी, दुकान थी-सब था। फिर खो गया। दिवाला निकल गया। दीवाली निकलते-निकलते दिवाला निकल गया। अब तुम भी भिखमंगे के पास बैठ गए। तुम यह मत सोचना कि तुम्हें जो दुख हो रहा है, वह भिखमंगे को भी हो रहा है। भिखमंगा हो सकता है मस्त भी हो। भिखमंगा तुमसे कहे भी कि अरे यार, क्यों इतने परेशान हो रहे हो। सब चलता है। सब मजे से चल रहा है। काहे इतने उदास! थोड़े दिन में रच-पच जाओगे। मैं सिखा दूंगा सब धंधा। इसकी भी कला है। तुम मुझसे सीख लो। ___ मगर तुम्हारा मन नहीं लगता, क्योंकि तुमने थोड़ा सा सुख देखा है। उस सुख की तुलना में यह महादुख मालूम पड़ता है। एक यहूदी कथा है : एक गरीब यहूदी अपने रबी के पास गया। रबी से उसने कहा कि गुरुदेव! कुछ रास्ता बताओ। मैं मरा जा रहा हूं। एक ही कमरा है हमारे पास। उसमें मैं रहता, मेरी पत्नी रहती, मेरे बारह बच्चे रहते। मेरे पिता, मेरी मां, मेरी पत्नी की मां, मेरी पत्नी के पिता, मेरी एक विधवा बहन, उसके दो बच्चे। और अभी-अभी घर में मेहमान आ गए हैं! पागल हुए जा रहे हैं हम। इसके पहले कि कुछ हो जाए-या तो मैं किसी को मार डालूं या मैं मर जाऊं-ऐसी हालत हो रही है। एक ही कमरा, उसी में खाना बनाते, उसी में बच्चे पैदा होते, उसी में मेहमान भी रहते हैं। कुछ रास्ता बताओ। यहूदी धर्मगुरु बड़े अनुभवी लोग होते हैं। उसने कहा ः तुम एक काम करो। तेरे पास गाय-भैंस इत्यादि हैं? उसने कहा, हैं। तीन भैंसें हैं, दो गाएं हैं, दस बकरियां हैं, भेड़ें भी हैं, कुत्ता भी है, घोड़ा भी है। उसने कहा : तू उन सब को भी अंदर ले आ। उसने कहा ः आप होश में हैं? मैं क्या कह रहा हूं कि मैं मरा जा रहा हूं। आप कह रहे हैं, इनको भी अंदर ले आ! उसने कहा : तू मेरी बात मान और सात दिन बाद आकर मुझे बताना। जब गुरु ने कहा है, तो कुछ राज होगा। हिम्मत तो नहीं होती यह करने की उसकी। घर जाता है, बड़ा सोचता है। पत्नी से कहता है कि हद्द हो गयी! मैं मुसीबत लेकर गया था। महा मुसीबत का रास्ता बता दिया। ___पत्नी कहती है लेकिन जब गुरु ने कहा...। जैसे कि पत्नियां अक्सर गुरुओं को मानने वाली होती हैं, उसने कहाः जब गुरु ने कहा, तो मानना ही पड़ेगा। अब जो भी हो। सात दिन झेल लेंगे। मगर जब कहा है, तो कुछ राज होगा! ___ तो लाना पड़ा। अब सब भैंसें और गाएं और घोड़े और कुत्ते और... ! वहां तो जगह बैठने की भी न रही। खड़े-खड़े मुश्किल से गुजारा हो। सात दिन तो बिलकुल पगला गए सब। सात दिन पूरे हुए, तो भागा एकदम। गुरु के चरण पकड़ लिए और कहा कि बचाओ गुरुदेव! ___ उसने कहा कि अब तुम एक काम करो, वह सब जानवरों को बाहर निकाल 64
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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