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________________ एस धम्मो सनंतनो जुआरी ही जानता है कि जीवन क्या है। दांव जो लगा सकता है, वही जानता है कि जीवन क्या है। क्योंकि जीवन के फूल खतरे में खिलते हैं। जब मौत बिलकुल करीब होती है, तब जीवन के फूल खिलते हैं। ___ इसीलिए खतरे में एक तरह का आकर्षण होता है-तुमने खयाल किया। खतरे में एक तरह का आकर्षण तुमने कभी अपने भीतर अनुभव किया? अगर तुम कार चलाते हो, तो जब तुम्हारी कार अस्सी मील प्रतिघंटे से ऊपर जाने लगती है, तब एक तरह की पुलक आती है। छाती फूलती। अच्छा लगता। खतरा भी बढ़ता जाता। अब नब्बे हो गयी, पंचानबे हो गयी, सौ मील की रफ्तार हो गयी। और हिंदुस्तान के रास्ते! और कार सौ मील की रफ्तार पर! और कार भी बिरला की एम्बेसेडर! जिसमें सब चीजें बजती हैं, सिर्फ हार्न नहीं बजता! खतरा! प्राण कंपने लगेंगे। लेकिन एक पुलक भी होगी, रोमांच भी होगा, संवेग भी होगा। तुम जीवंत मालूम पड़ोगे, जैसे धूल झड़ गयी! लोग पहाड़ पर चढ़ने जाते हैं, खतरा मोल लेते हैं। कोई कारण नहीं था! अपने घर मजे से रहते। लेकिन पहाड़ चढ़ने चले! पहाड़ से गिरेंगे, तो मरेंगे। जितनी ऊंचाई पर पढ़ते हैं, उतने ही रस-विभोर हो जाते हैं। क्योंकि उतनी ही मौत करीब होती है। जब जीवन के मौत बहुत करीब होती है, तब जीवन में एक तरह की ताजगी होती है, यौवन होता है। इसलिए जो लोग ठीक-ठीक जीवंत हैं, वे खतरे की तलाश करते हैं। फ्रेडरिक नीत्शे ने कहा है : जीना हो तो एक ही उपाय है खतरे में जीयो, लिव डेंजरसली। तुमने ठीक पहचाना कि मौत से डर लगता है और जीवन से भी डर लगता है। क्योंकि जब भी जलती है मशाल जीवन की, तभी मौत चारों तरफ करीब मालूम पड़ती है। इसलिए लोग जवानी में ही बूढ़े हो जाते हैं, जीते ही नहीं। हजार तरह की सुरक्षाएं, और हजार तरह के भय, और हजार तरह की व्यवस्था करके मुर्दा हो जाते हैं! सावधान रहना। जीवन तो जाएगा, इसलिए जी लो। जीवन तो जाएगा, इसलिए जीवन को परख लो, पहचान लो। जीवन तो जाएगा, रुकेगा नहीं। तुमने न भी जीया, तो भी जा रहा है। इसे भूलना मत। __ तुमने न भी जीया जीवन, तो भी मौत आ रही है। तुम्हारी मौत, लेकिन व्यर्थ की मौत होगी। जी लो, और मौत को आने दो। जी लो पूरा जीवन को। निचोड़ लो जीवन का पूरा रस। और तब तुम चकित हो जाओगे। तब तुम मौत का रस भी निचोड़ने में समर्थ हो जाओगे। जो ठीक से जीवन को जी लिया है परिपूर्णता में, वह मौत को भी परिपूर्णता में जीता है। कहां भय है! वह जीवन के रहस्यों को तो जान ही लेता है, वह मौत के रहस्यों को भी जान लेता है। सुकरात को जब जहर दिया गया, तो वह बड़ा प्रफुल्लित था। उसके शिष्य 262
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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