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तृष्णा की जड़
जागे; नियम के अनुकूल हो गए। ___नियम की प्रतिकूलता में दुख है; नियम की अनुकूलता में सुख है। यह बड़ी वैज्ञानिक बात है। तुम रास्ते पर सम्हलकर चलो, तो पृथ्वी तुम्हें गिराती नहीं और तुम्हारी टांग नहीं तोड़ देती और फ्रेक्चर नहीं हो जाता। तुम सम्हलकर न चलो, शराब पीकर चलो, लड़खड़ाते चलो, आंखें बंद करके चलो, तो गिरोगे। गिरोगे तो हड्डी टूटेगी। तब नाराज मत होना; गुरुत्वाकर्षण को गाली मत देना। गुरुत्वाकर्षण तुम्हारी टांग तोड़ने बैठा नहीं था। तुमने अपनी टांग अपनी ही भूल-चूक से तोड़ ली। तुमने अपनी टांग अपनी ही मूर्छा से तोड़ ली। ___ गुरुत्वाकर्षण तुम्हारा दुश्मन नहीं है। जमीन की कोई आकांक्षा नहीं कि तुम्हारी टांग तोड़े। तुम सम्हलकर चलते, तो जमीन तुम्हारी टांग न तोड़ती।
तुमने देखा ः रस्सी पर चलता है नट। रस्सी पर चलता है, तो भी सम्हल लेता है, तो जमीन उसकी टांग नहीं तोड़ती। कई लोग जमीन पर चलते हैं और टांग टूट जाती है। होश से चलने की बात है। ... बुद्ध ने कहा है : नियम न तो किसी के पक्ष में है, न किसी के विपक्ष में है। नियम निष्पक्ष है। अब तुम्हारे ऊपर निर्भर है। अगर विपरीत चले, तो कष्ट पाओगे। नियम के विपरीत चलोगे, तो नर्क निर्मित कर लोगे। नियम के अनुकूल चलोगे, तो स्वर्ग निर्मित हो जाएगा। और जिस दिन नियम और तुम्हारे बीच जरा भी फासला न रह जाएगा, तुम नियम के साथ एकरूप हो जाओगे, एकरस हो जाओगे, उस दिन तुम भगवत्ता को उपलब्ध हो गए। उस दिन तुम भगवान हो गए।
प्रत्येक व्यक्ति भगवान हो सकता है। यही बुद्ध-धर्म की गरिमा है कि प्रत्येक व्यक्ति को भगवान होने का अवसर है।।
हिंदू-धर्म में राम भगवान हो सकते हैं; कृष्ण भगवान हो सकते हैं; परशुराम भगवान हो सकते हैं। दस अवतार चुक गए, फिर कोई उपाय नहीं। हिंदू-धर्म लोकतांत्रिक नहीं है। . इस्लाम में तो इतनी भी सुविधा नहीं। दस आदमी भी भगवान नहीं हो सकते। मोहम्मद भी भगवान नहीं हैं। मोहम्मद भी केवल संदेश-वाहक, पैगंबर! इस्लाम और भी कम लोकतांत्रिक है। भगवान एक तानाशाह है।
ईसाइयत थोड़ी गुंजाइश रखती है, मगर ज्यादा नहीं। जीसस भगवान हैं। लेकिन वे इकलौते बेटे हैं। दूसरा कोई बेटा भगवान का नहीं! फिर ये सब बेटे किसके हैं? फिर ये सब अनाथ हैं? फिर जीसस ही सनाथ हैं! और बाकी सब अनाथ हैं? यह बात भी बड़ी गैर-लोकतांत्रिक है। __ बुद्ध की बात बड़ी लोकतांत्रिक है। बुद्ध कहते हैं : प्रत्येक भगवान हो सकता है। प्रत्येक के भीतर छिपा हुआ है भगवान का बीज। इसलिए भगवान एक है, ऐसा नहीं। जितनी आत्माएं हैं इस जगत में, उतने भगवान हो सकते हैं। भगवान होना
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