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________________ एस धम्मो सनंतनो परमात्मा की सुगंध होती। वहां बिना किसी सुगंध के सुगंध होती। वहां बिना किसी वाद्य के संगीत बजता। वहां एक रोशनी होती अंधेरे में भी। वहां बुद्धत्व का वास था। वह जगह मंदिर थी। ___कोई जगह न देखकर राहुल फिर बुद्ध की गंधकुटी के बाहर बरामदे में जाकर सो रहा। एक तो राहुल धीरे-धीरे, यद्यपि ऊपर से श्रामणेर था, बच्चा था, लेकिन भीतर थिर होता जा रहा था। अंतिम घड़ी करीब आ रही थी। और शायद उस दिन अंतिम घड़ी बहुत करीब आ गयी, बुद्ध के सान्निध्य के कारण। पहली बार बुद्ध के बरामदे में सोया था राहुल। बुद्धत्व की मौजूदगी, उसके भीतर जो जागता हुआ बुद्धत्व है उसको बड़ा सहारा बन गयी होगी। यही तो साधु-संग का रहस्य और राज है। अगर तुम किसी साधु के पास हो, तो तुम्हारे भीतर साधुता को छलांग लेने की सुविधा ज्यादा होगी। तुम अगर असाधु के पास हो, तो तुम्हारे भीतर जो शैतान है, उसका बस तुम पर ज्यादा होगा। क्योंकि आदमी अनुकरण से जीता है। __तुमने कभी खयाल किया, चार आदमी उदास बैठे हों और तुम भी उनके पास जाकर बैठ जाओ, तो तुम उदास हो जाते हो। चार आदमी हंसते हों; तुम उदास आए थे, चार आदमियों को हंसते देखकर तुम भी मुस्कुराने लगते हो, हंसने लगते हो। भूल ही जाते हो। बुद्धत्व की सन्निधि उस रात; बुद्ध अपनी गंधकुटी में भीतर सोए हैं, और राहुल बाहर बरामदे में लेट रहा है। शैतान ने हमला किया; मार ने हमला किया। मार जानता है : छोटा बच्चा है। अभी बारह-तेरह साल का है। कामवासना के द्वारा इस पर हमला नहीं किया जा सकता। कामवासना का हमला तो चौदह साल के बाद हो सकता है। दो ही हमले संभव हैं। या तो काम या भय। छोटा बच्चा भय के द्वारा ही डांवाडोल किया जा सकता है। जवान आदमी शायद भय से डांवाडोल न हो, लेकिन कामवासना से डांवाडोल होता है। यह छोटा बच्चा है। इसके पास नंगी अप्सराएं नचाने से कुछ भी न होगा। वह ऋषि-मुनियों के पास नचाना ठीक है। यह छोटा ही बच्चा है। यह इसको समझेगा ही नहीं। यह शायद बैठकर मजा लेने लगे। सोचे कि क्या हो रहा है! तमाशा हो रहा है! इस पर कुछ परिणाम न होगा नंगी अप्सराएं नचाने से। यह शायद मस्त होकर सो जाए कि ठीक है। नाचो, खूब नाचो, जितना नाचना हो। इसमें कोई परिणाम न हो! क्योंकि परिणाम तभी हो सकता है, जब वासना सजग हो गयी हो। बूढ़े में हो सकता है। कभी-कभी तो जवान से भी ज्यादा होता है बूढ़े में। क्योंकि जवान में शक्ति भी होती है, वासना भी होती है। बूढ़े में वासना तो उतनी 156
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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