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________________ बोध से मार पर विजय की उतनी होती है, शक्ति खो गयी होती है। तो जवान में शक्ति भी होती है, वासना भी होती है। चाहे तो अपनी शक्ति से वासना को दबाए रख सकता है। लेकिन बूढ़े के पास शक्ति भी नहीं बचती। वह अपनी वासना को दबा भी नहीं सकता। बूढ़ा बड़ा अवश हो जाता है। वासना उतनी की उतनी होती है। उतनी ही जवान, जितनी पहले थी। और जो ताकत थी जवानी की. वह खो जाती है। - एक दफा एक संन्यासी मुझे काशी में मिलने आए। उनकी कोई चालीसबयालीस साल की उम्र थी। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं आपसे एक ही बात पूछने आया हूं, वासना का बड़ा मुझ पर हमला होता है! मैंने कहा, तुम घबड़ाओ मत। वासना और संन्यासियों का पुराना नाता-रिश्ता है! यह सदा से ही होता रहा है। तुमने ऋषि-मुनियों की कहानियां पढ़ीं? उन्होंने कहा, पढ़ता हूं। पढ़ता क्या हूं-अब देख ही रहा हूं अपने आप। ऐसा ही हो रहा है। मगर मैं अपने काबू से हटता नहीं। अपने नियंत्रण से हटता नहीं, चाहे कुछ भी हो जाए। मैं आपसे यही पूछने आया हूं कि यह कब तक होता रहेगा? __ मैंने कहा, यह तो सदा होगा। पैंतालीस साल के बाद मुश्किल में पड़ोगे। क्योंकि फिर इतनी ताकत न होगी दबाने की। इसलिए दबाने पर अगर भरोसा किया, तो बुढ़ापे में मुश्किल में पड़ जाओगे। दबाने पर भरोसा मत करो। ताकत के दो उपयोग हो सकते हैं : या तो दबाओ, या ताकत को होश बनाओ, स्मृति बनाओ। या तो ताकत दमन बन जाए, या जागरण बन जाए। जागरण बने, तो ही ठीक है। दमन से कुछ भी न होगा। उन्होंने कहा, आप भी क्या बात कर रहे हैं! मैं तो सदा यही सोचता रहा कि जवानी है और कितने दिन? और दो-चार-दस साल की बात है। पचास साल के बाद फिर क्या होना है? फिर तो बुढ़ापा आ जाएगा। आप क्या बात कर रहे हैं! मैं तो इसी आशा में जीता रहा हूं कि अभी जवानी है, इसलिए वासना जोर मारती है। एक दफा जवानी गयी, वासना का जोर चला जाएगा! . मैंने कहा कि पैंतालीस साल बाद मुझे मिलना। वे ईमानदार आदमी हैं। वे पैंतालीस साल के बाद मुझे मिलने आए। कोई सैंतालीस साल की उनकी उम्र रही होगी। उन्होंने कहा, आप ठीक कहते थे। मैं भारा गया। मैं बड़ी मुश्किल में पड़ गया हूं। अब मुझे पता चल रहा है : मेरी लड़ने की ताकत कम होने लगी और वासना उतनी ही प्रबल है। दुश्मन उतना ही मजबूत है; मैं कमजोर होने लगा। आप ठीक कहते थे। मैं चूक गया। मैंने जितना संघर्ष किया वासना से, अगर उतनी शक्ति जागरण में लगायी होती, तो शायद पहुंचने की कोई संभावना थी। यह जीवन तो गया। ___ मैंने उनसे कहा, जीवन कभी भी गया नहीं है। सांझ को भी कोई लौटकर आ जाए घर, तो भूला हुआ नहीं है। अभी भी चेष्टा करो। अभी भी जो थोड़ी शक्ति 157
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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