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एस धम्मो सनंतनो
नाम याद रख लेता है। जो किताब एक दफा पढ़ता है, भूलता ही नहीं। जो फोन नंबर एक दफे याद कर लिया वह याद सदा के लिए हो गया। तीस-चालीस साल के बाद भी पूछोगे, तो वह फोन नंबर बता देगा। जिसकी याददाश्त अच्छी होती है, उसको हम कहते हैं-स्मृतिवान। ___ बुद्ध का वैसा अर्थ नहीं है। बुद्ध के स्मृति का अर्थ मेमोरी नहीं है, माइंडफुलनेस है। स्मृति का अर्थ है : जागा हुआ, स्मरण को उपलब्ध। अतीत की स्मृति नहीं, वर्तमान की स्मृति। अभी मैं क्या कर रहा हूं, अभी मुझ से क्या हो रहा है यह होशपूर्वक करने का नाम स्मृति है बुद्ध के वचनों में।। ___ जो मैं करने जा रहा हूं, वह करने योग्य है ? करने योग्य नहीं है? पहले भी मैंने इस तरह के कृत्य किए हैं, उनका क्या परिणाम हुआ है? उनसे मैं कहां पहुंचा? क्या मैंने पाया? पहले भी मैंने ऐसे कृत्य किए और पछताया हूं। अब फिर वही कृत्य कर रहा हूं। फिर पछताऊंगा। पहले मैंने ऐसे कृत्य किए हैं और कसमें खायी हैं कि अब कभी न करूंगा, और फिर करने चला-इस सारी बोध-दशा का नाम स्मृति है। अपने को झंझोड़कर, जगाकर, तंद्रा से चौंकाकर स्थिति को पूरा का पूरा अवलोकन करना और फिर उस अवलोकन के ही आधार पर कृत्य में उतरना। __ साधारणतः हम अवलोकन नहीं करते। हम तो उतर जाते हैं अंधे की तरह ! हमें कोई भी फुसला लेता है! हमें कोई भी आकर्षित कर लेता है। हमारे भीतर कोई केंद्र ही नहीं है। हम बिलकुल ऐसे सूखे पत्ते हैं कि हवा जहां ले जाए, चले जाते हैं। या लकड़ी का एक टुकड़ा है, जो सागर में तैर रहा है : न कोई दिशा, न कोई गंतव्य! तरंगें जहां ले जाएं।
एक स्त्री मिल गयी रास्ते पर और उसने कहा : मैं तुम्हें प्रेम करती हूं। और तुम मंदिर जा रहे थे। और तुम भूल गए मंदिर! और यह अजनबी स्त्री, कभी पहले मिले भी न थे! न इसे जानते हो। और एक क्षण में लोभ पकड़ा, वासना पकड़ी। तुम एक अंधेरे में खो गए। तुम्हारी स्मृति धुंधली हो गयी।
बुद्ध ने कहाः स्मृति को सम्हाल! होश को जगा। पागल...। __ पापी नहीं कहा बुद्ध ने, कहाः पागल। फर्क समझना। साधारणतः तुम्हारे धर्मगुरु कहेंगे: पापी। पापी में निंदा हो गयी, अपमान हो गया। निंदा और अपमान से कहीं कोई रूपांतरित होता है?
बुद्ध ने कहा : पागल। पागल सार्थक शब्द है। पागल का अर्थ है : यही तो तू पहले भी किया, बहुत बार किया। फिर करने लगा!
पापी का क्या अर्थ है ? मूछित आदमी को क्या पापी कहना! बुद्ध गाली नहीं देते। बुद्ध चिकित्सक हैं। उपचार करते हैं। उपाय करते हैं।
अब बीमार आदमी को पापी कहने से क्या फायदा? बीमार आदमी को उसकी बीमारी के बाहर लाना है। उसको हाथ का सहारा चाहिए। शायद पापी कहने से तो
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