________________
बोध से मार पर विजय
भी तुझे ऐसा ही लगे करना, तो जरूर कर। क्योंकि मैं कौन हूं तुझे रोकने वाला। तेरी जिंदगी तेरी है। तेरा भविष्य तेरा है। तेरी नियति तेरी है। लेकिन तुझे प्रेम करता हूं-इतनी चेतावनी मेरी तरफ से; इतनी सलाह मेरी तरफ से। ले तो ठीक, न ले तो मेरी मर्जी। __वह भिक्षु धीरे-धीरे अंततः उसकी बातों में आकर चीवर छोड़कर गृहस्थ हो जाने के लिए तैयार हो गया।
अंततः शब्द पर ध्यान देना। उसने बहत देर तक लड़ाई की। बहत अपने को रोकना चाहा। ऐसे जल्दी राजी नहीं हो गया। एकदम से राजी नहीं हो गया। स्त्री ने पुकारा, और चल नहीं पड़ा उसके पीछे। जद्दो-जहद की; सब तरह से अपने को सम्हालने की कोशिश की।
इसलिए बुद्ध और भी चुप रहे। देखते थे कि वह कोशिश में लगा है। अपने से सम्हालने की कोशिश में लगा है। बचने की चेष्टा जारी है। काश! अपने से बच जाए, तो वे कभी न बोले होते। अपने से रुक गया होता, तो बुद्ध ने ये वचन न कहे होते। ये गाथाएं पैदा न हुई होतीं।। __ अंततः नहीं रोक पाया। प्रलोभन और वासना प्रगाढ़ हो गयी। सुरक्षा, सुविधा ज्यादा बहुमूल्य मालूम होने लगे स्वतंत्रता की बजाय। स्वयं के भीतर जाने की बजाय बाहर की थोड़ी सी सुविधाएं ज्यादा मूल्यवान मालूम होने लगीं। जब बुद्ध ने देखा होगा कि अब तराजू का ढंग बदल रहा है; जो पलड़ा अब तक भारी था, कम भारी हुआ जाता है; जो अब तक कम भारी था, भारी हुआ जाता है; इसका चित्त डोल रहा है। इसका चित्त संसार की तरफ बहा जा रहा है...।
जब यह बात बिलकुल पक्की हो गयी होगी बुद्ध को कि अब अगर एक क्षण और देर की गयीं, तो शायद फिर बहुत देर हो जाएगी। तब उन्होंने उस युवक को अपने पास बुलाया। उससे कहा : स्मृति को सम्हाल।
इन वचनों को खयाल में रखना। निंदा नहीं की। डांटा-डपटा नहीं। अपराधी नहीं ठहराया। तू पाप करने जा रहा है; महापाप करने जा रहा है; तुझे नर्क की अग्नि में जलाया जाएगा-इस तरह के भय नहीं दिए। दंड की घबड़ाहट पैदा नहीं की। कहा क्या? बड़े मीठे शब्द कहे : स्मृति को सम्हाल।
स्मृति बुद्ध का अपना विशिष्ट शब्द है। स्मृति का ठीक वही अर्थ होता है, जो मध्ययुग में संतों ने सुरति का किया। सुरति स्मृति का ही बिगड़ा हुआ रूप है। कबीर कहते हैं : सुरति। नानक कहते हैं : सुरति। सुरति को सम्हालो। क्या है सुरति? क्या है स्मृति? __ तुम जो स्मृति का अर्थ समझते हो, वैसा मत समझ लेना। वह बुद्ध का अर्थ नहीं है। तुम्हारा तो अर्थ होता है स्मृति से- मेमोरी, याददाश्त, अतीत की याददाश्त। हम कहते हैं : फलां आदमी की स्मृति बड़ी अच्छी है, क्योंकि वह सैकड़ों लोगों के
147