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________________ एस धम्मो सनंतनो तो बिल्ली खाने लगी। लेकिन चूहे जल्दी ही खतम हो गए। अब वह बिल्ली भूखी मरती बैठी वहां! अब इसके लिए क्या करना? फिर समझदारों से सलाह ली। और जाओ भी कहां? समझदार ही हैं चारों तरफ! सलाह देने वाले हर जगह मौजूद हैं। उन्होंने कहा : आप ऐसा करो कि बिल्ली ने सेवा तो आपकी काफी की; आपको इसको भोजन तो देना ही चाहिए। एक गाय रख लो। सो उन्होंने एक गाय रख ली। बिल्ली को भी दूध पिला देते; खुद भी पी लेते। अब गाय का सवाल उठा कि इसके लिए घास-पात लाओ! गांव वालों ने कहा कि महाराज! घास-पात अब आप कहां रोज-रोज गांव जाओगे लेने। यह तो बड़ी झंझट होगी। इतनी तो जमीन पड़ी है यहां, इसी में घास-पात उगा लो। खेती-बाड़ी करने लगे! अब कभी बीमार हो जाते और पानी डालने नहीं जा पाते; और कभी ज्यादा जरूरत पड़ती काम की; काम पूरा न होता। फिर धीरे-धीरे खेती-बाड़ी बढ़ी। घास-पात पैदा करते-करते गेहूं भी पैदा किया; चावल भी पैदा किए। फिर काम बढ़ने लगा। गांव वालों ने कहा कि महाराज! ऐसा है कि आप एकाध सहयोगी रख लो। ऐसे तो नहीं चलेगा। अब यह काम काफी फैल गया। कोई...। आप भी बूढ़े हुए जाते हैं; आपकी भी सेवा कर दे। तो गांव में एक विधवा स्त्री थी, उसको लोग ले आए कि यह खाली है; किसी काम की भी नहीं है। आपकी भी सेवा कर देगी; भोजन भी बना देगी; देखभाल भी कर लेगी। तो जो होना था हुआ। कुछ दिन बाद वह विवाह हो गया उनका! बच्चे हो गए! सो गुरुदेव बेचारे ठीक ही कहकर मरे थे कि तू एक खयाल रखना : बिल्ली भर मत पालना। तुम अगर भाग भी जाओगे संसार से, कुछ होगा नहीं। मन को कहां छोड़ोगे? मन तो तुम्हारे साथ चला जाएगा। जहां जाओगे, वहीं चला जाएगा। अगर मन बेईमान है, तो तुम जहां रहोगे, वहीं बेईमानी करोगे। मैंने सुना है : एक आदमी स्वर्ग के द्वार पर दस्तक दिया। देवदूत ने द्वार खोला। पूछा : आप यहां कैसे! तीन बजे रात! यह कोई वक्त है आने का? उसने कहा : मैं क्या करूं; डाक्टर की कृपा! तीन बजे मार डाला! देवदूत ने कहा कि देखना पड़ेगा खाते-बही में, क्योंकि किसी की यहां खबर नहीं कि इतने वक्त आना चाहिए। कोई बड़ा डाक्टर मिल गया! मैं जरा भीतर जाकर देखू। तुम काम क्या करते थे? उस आदमी ने कहा : काम कुछ खास नहीं था। यही लोहा-लंगड़ खरीदना; कबाड़ी की दुकान थी। देवदूत अंदर गए। जब लौटकर आए, तो वह आदमी भी नदारद था और लोहे का फाटक भी नदारद था। अब लोहा-लंगड़ बेचने वाला आदमी; उतनी देर मौका 124
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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