SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 136
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बुद्धत्व का कमल निश्चित, तुम्हें भी कुछ चाहिए; और मैं नहीं कहता कि तुम्हें कुछ भी नहीं लेना है। तुम्हें कुछ लेना है। लेकिन तुम साफ करके लोगे कि दो पैसे मुझे, मेरी सेवा के। उतना तुम्हारा हक है। लेकिन काम-धंधा छोड़ने को मैं नहीं कहूंगा। जीवन रूपांतरित होना चाहिए। भगोड़ेपन से क्या होगा? तुम दुकान छोड़कर भाग भी गए, तो करोगे क्या! तुम जहां बैठोगे, जैसे रहोगे, उसमें से ही कुछ न कुछ निकल आएगा और तुम्हारी पुरानी दुनिया फिर शुरू हो जाएगी। तुमने सुना, एक संन्यासी मर रहा था। बूढ़ा हो गया था। उनका शिष्य-एक ही शिष्य था उनका—उनके पास गया और कहा : गुरुदेव! अब जाते वक्त कुछ आखिरी संदेश! गुरु ने कहा मरते वक्तः एक ही बात खयाल रखना, बिल्ली कभी मत पालना। और इतना कहकर वे मर गए। बिल्ली कभी मत पालना! वह युवक बड़ा हैरान हुआ कि हद्द हो गयी! बहुत वेद-पुराण-कुरान सब देखे; मगर बिल्ली मत पालना, ऐसा न तो मूसा ने कहा, न मनु ने कहा, न मोहम्मद ने, न महावीर ने, किसी ने नहीं। ये गुरुदेव का दिमाग या तो मरते वक्त खराब हो गया। कुछ शक तो होता था कि सठिया गए हैं। अब यह हद्द हो गयी! अब किसी को अगर मैं कहूं भी कि मेरे गुरुदेव यह कह गए मरते वक्त कि बिल्ली मत पालना, तो लोग मुझ पर भी हंसेंगे। सो उसने किसी से न कहा। __ और जो होना था, सो हुआ। उसने बिल्ली पाल ली। जो गुरु के जीवन में घटा था, जिसके कारण वे कह गए थे कि ऐसा मत करना... । वह रुक नहीं सका; जो गुरु के जीवन में घटा, वैसा ही शिष्य के जीवन में घटा। ___ गुरु के जीवन में क्या घटा था? वे सब घर-द्वार छोड़कर जंगल चले गए थे। एक लंगोटी बचायी थी। अब लंगोटी तो बचानी ही पड़ेगी। मगर लंगोटी में ही सारा संसार भी बच सकता है। क्योंकि संसार तुम्हारे भीतर है। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता कि लंगोटी है. तुम्हारे पास या राजमहल है। लंगोटी में ही सारा संसार हो सकता है। अब वे लंगोटी लटका देते थे रात में; एक थी, पहन लेते; एक धोकर डाल देते। चूहे उसको काट जाते। ___ तो किन्हीं समझदारों ने-समझदारों से जरा सावधान रहना—किन्हीं समझदारों ने कहा कि गुरुदेव, आप ऐसा करिए कि एक बिल्ली पाल लीजिए; तो ये चूहों को खा जाएगी। आपकी झंझट मिट जाएगी। नहीं तो लंगोटी बार-बार...। अच्छा भी नहीं मालूम पड़ता। फिर-फिर आपको गांव जाना पड़ता है कि भई लंगोटी चूहों ने काट दी, अब फिर लंगोटी चाहिए! यह बात जंची। यह बिलकुल तर्कयुक्त थी। यही तो मजा है मन का कि मन को तर्कयुक्त बातें जंचती हैं। बस जंच गयी बात। वे एक बिल्ली पाल लिए। चूहे 123
SR No.002388
Book TitleDhammapada 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages366
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy