________________
तृष्णा को समझो
वाला ही था—सब तैयारी हो गयी थी लेकिन भगवान को देखकर सभी दर्शक उग्गसेन की ओर से मुख मोड़कर भगवान को ही देखने लगे।
बुद्ध की मौजूदगी! एक क्षण को लोग भूल गए तमाशा। एक क्षण को लोग भूल गए उग्गसेन को। एक क्षण को लोग भूल गए मनोरंजन को। यहां आ रहा है कोई, जिसका मन समाप्त हो गया। यहां आ रहा है कोई, जो दूसरे लोक की खबर लाता। यह प्रसादपूर्ण बुद्ध का आगमन, यह उनके पीछे भिक्षुओं का आगमन ! यह बुद्ध का आकर अचानक वहां खड़े हो जाना! एक क्षण को लोग भूल ही गए। जहां इतना विराट घट रहा हो, वहां क्षुद्र की कौन चिंता करता!
उग्गसेन उदास हो बैठ रहा। भगवान ने उसे उदास देख अपने एक शिष्य महामौद्गल्यायन से कहा, मौद्गल्यायन ! उग्गसेन को कहो, अपना खेल दिखाए। और मैं भी उसका खेल देखंगा, प्रसन्न होकर दिखाए। __ सदगुरु इस तरह के उपाय भी करता है। तुम्हें उठाना हो तुम्हारी भूमिका से, तो तुम्हारी भूमिका तक उसे आना पड़ता है। तुम्हें तुम्हारे खाई-खड्ड से निकालना हो, तो उसको भी अपने शिखर को छोड़कर तुम्हारे गड्ढे में आना पड़ता है। __ उग्गसेन का पिता बुद्ध का शिष्य था। शायद बहुत बार रोया होगा बुद्ध के पास। शायद बहुत बार कहा होगा कि क्या होगा मेरे बेटे का! यह कैसा पतन हुआ!
और ध्यान रखना, उन दिनों के धनपति और आज के धनपतियों में बड़ा फर्क है। तुम जानते हो : सेठ शब्द उन दिनों के श्रेष्ठी शब्द से आया है। अब तो सेठ एक तरह की गाली है। उन दिनों श्रेष्ठी...। जो व्यक्ति बड़े श्रेष्ठ थे, वे ही कहे जाते थे श्रेष्ठी। जिनके भीतर एक आत्मिक संपन्नता थी। बाहर का धन तो ठीक था; जिनके पास भीतर का धन भी था। __इस उग्गसेन के पिता ने बुद्ध के लिए सारा धन बहाया था। कहते हैं : एक बार तो ऐसा हुआ था कि बुद्ध गांव आए। उनके ठहरने के लिए एक बगीचे को खरीदना था। लेकिन बगीचे को बेचने वाला दुष्ट और जिद्दी प्रकृति का था। उसने कहा, उतने रुपए में बेचूंगा, जितने रुपए मेरी जमीन पर बिछाओगे। पूरी जमीन ढंक जाए रुपयों से, उतने रुपयों में बेचूंगा। ___यह हजार गुना मूल्य मांग रहा था; या लाख गुना मूल्य मांग रहा था। लेकिन उग्गसेन के पिता ने फिर भी वह बगीचा खरीद लिया। जमीन पर रुपए बिछाकर! जितने रुपए जमीन पर बिछे, उतने रुपए देकर।
एक महिमाशाली व्यक्ति रहा होगा। बुद्ध के पास रोया होगा बहुत बार इस बेटे के लिए। कहा होगा : कुछ करें। आप कुछ करें, तो ही अब कुछ हो सकता है। अब हमारे हाथ के बाहर की बात है।
शायद इसीलिए बुद्ध उस दिन गए। गए ताकि उग्गसेन को खींच लें। उग्गसेन का तमाशा देखा, सिर्फ इसीलिए कि उग्गसेन के भीतर बुद्ध के प्रति थोड़ा भाव पैदा
97