________________
धर्म के त्रिरत्न
हो जाते हो, तो वह ध्यान की प्रक्रिया शराब जैसी है, जड़ है, उससे सावधान ! उस धोखे में मत पड़ना! कुछ ऐसा ध्यान साधो जिससे तुम्हारी चेतना जागे। उस जागने की प्रक्रिया का नाम है-स्मृति। माइंडफुलनेस। तुम ऐसे जागरूक हो जाओ कि तुम्हारे भीतर कोई विरोध न रह जाए। एक प्रकाश, अखंड प्रकाश फैल जाए।
आज के सूत्र इस अखंड प्रकाश के ही सूत्र हैं। सूत्र के पहले संदर्भ। यह छोटी सी कहानी है
भगवान राजगृह में विहरते थे। उसी समय राजगृह में घटी यह घटना है। उस महानगर में दो छोटे लड़के सदा साथ-साथ खेलते थे। उनमें बड़ी मैत्री थी। अनेक प्रकार के खेल वे खेलते थे। आश्चर्य की बात यह थी कि एक सदा जीतता था और दूसरा सदा हारता था। और भी आश्चर्य की बात यह थी कि जो सदा जीतता था, वह हारने वाले से सभी दृष्टियों से कमजोर था। हारने वाले ने सब उपाय किए, पर कभी भी जीत न सका। खेल चाहे कोई भी हो, उसकी हार सुनिश्चित ही थी। वह जीतने वाले के खेल के ढंगों का सब भांति अध्ययन भी करता था—जानना जरूरी था कि दूसरे की जीत हर बार क्यों हो जाती है, क्या राज है? – एकांत में अभ्यास भी करता था, पर जीत न हुई सो न हुई। एक बात जरूर उसने परिलक्षित की थी कि जीतने वाला अपूर्व रूप से शांत था। और जीत के लिए कोई आतुरता भी उसमें नहीं थी। कोई आग्रह भी नहीं था कि जीतूं ही। खेलता था—अनाग्रह से। फलाकांक्षा नहीं थी। और सदा ही केंद्रित मालूम होता था, जैसे अपने में ठहरा है। और सदा ही गहरा मालूम होता था, छिछला नहीं था, ओछा नहीं था। उसके अंतस में जैसे कोई लौ निष्कंप जलती थी। उसके पास एक प्रसादपूर्ण आभामंडल भी था। इसलिए उससे बार-बार हारकर भी हारने वाला उसका शत्रु नहीं हो गया था—मित्रता कायम थी। जीत भी जाता था जीतने वाला, तो कभी अहंकार से न भरता था। जैसे यह कोई खास बात ही न थी। खेल अपने में पूरा था, जीते कि हारे, इससे उसे प्रयोजन नहीं था। मगर जीतता सदा था।
हारने वाले ने यह भी देखा था कि प्रत्येक खेल शुरू करने के पूर्व वह आंखें बंद करके एक क्षण को बिलकुल निस्तब्ध हो जाता था, जैसे सारा संसार रुक गया हो। उसके ओंठ जरूर कुछ बुदबुदाते थे-जैसे वह कोई प्रार्थना करता हो, या कि मंत्रोच्चार करता हो, या कि कोई स्मरण करता हो।
__ अंततः हारने वाले ने अपने मित्र से उसका राज पूछा, क्या करते हो? उसने पूछा, हर खेल शुरू होने के पहले किस लोक में खो जाते हो? जीतने वाले ने कहा, भगवान का स्मरण करता हूं। नमो बुद्धस्स का पाठ करता हूं। इसीलिए तो जीतता हूं। मैं नहीं जीतता, भगवान जीतते हैं।
उस दिन से हारने वाले ने भी नमो बुद्धस्स का पाठ शुरू कर दिया। यद्यपि यह
73