________________
एस धम्मो सनंतनो
अचेतन है वह खुलकर खेलेगा। दिन में हत्या करनी चाही थी, नहीं कर पाए, रात नींद में हत्या कर दोगे। दिन में चोरी करनी चाही थी, नहीं कर पाए–नीति थी, धर्म था; नर्क था, स्वर्ग था; साधु-संत थे, रुक गए–प्रतिष्ठा थी। लेकिन रात नींद में न तो साधु-संत हैं, न शास्त्र हैं, न स्वर्ग है न नर्क है, अचेतन पूरा मुक्त है। और यह अचेतन कभी-कभी चेतन में भी धक्के मारेगा, अगर अवसर मिल जाएं तो धक्के मारेगा।
इसलिए सारी दुनिया में हमने इसकी व्यवस्था की है कि आदमी को अनैतिक होने का अवसर न मिले। तभी वह नैतिक रहता है। समझो कि यह जो दूसरी स्त्री तुम्हें प्रीतिकर लग गयी यह एक जंगल में तुम्हें मिले-न पूना के रास्ते पर मिले-जंगल में मिले जहां दूर-दूर तक मीलों तक कोई नहीं है, तुम दोनों ही अकेले हो, तब अपने को रोकना कठिन हो जाएगा। बस्ती में, बीच बस्ती में प्रतिष्ठा का सवाल था। पुलिस का सवाल था। अब यहां तो कोई सवाल नहीं है। समझो कि यह स्त्री जंगल में नहीं, तुम दोनों एक नाव में डूब गए हो और एक द्वीप पर लग जाते हो-जहां कोई भी नहीं है; और कोई कभी नहीं आएगा; न पत्नी को खबर लगेगी, न समाज को खबर लगेगी, अब कोई आने वाला नहीं है-तब, तब तुम अचेतन की मान लोगे। तब तुम चेतन की फिकर न करोगे। __ इसलिए कानून, पुलिस और राज्य इसी की फिकर करता है कि अवसर कम से कम मिलें। पश्चिम में जब से स्त्रियों ने दफ्तरों में काम शुरू किया है, कारखानों में काम शुरू किया है, तब से परिवार उजड़ने लगा; क्योंकि स्त्री और पुरुषों के करीब आने के ज्यादा अवसर हो गए। पूरब में यह खतरा कम है, क्योंकि स्त्री को अवसर ही नहीं है। स्त्री घर में बंद है, उसे कोई मौका नहीं है कि वह किसी के संपर्क में आ सके। पूरा समाज पुरुषों का समाज है, स्त्रियां तो बंद हैं। ___ मगर यह अवसर को छीन लेने से अचेतन बदलता नहीं, सिर्फ रिप्रेशन हो गया, सिर्फ दमन हो गया। और जिसका दमन कर दिया है वह भीतर बैठा है, सुलग रहा है। और किसी भी दिन, किसी मौके पर, किसी क्षण में, किसी कमजोरी में फूट पड़ेगा।
इसलिए आदमी पागल होते हैं। पागल होने का इतना ही अर्थ है कि अचेतन में बहुत दबाया गया है, इसका बदला ले लिया चेतन से। एक दिन उसने तोड़ दी सब सीमाएं, सब मर्यादाएं, निकल भागा सब नियम उखाड़कर, छूट ले ली। पागल होना अचेतन का प्रतिकार है। ___अगर तुम चेतन की मानो तो अचेतन प्रतिकार लेता है। अगर तुम अचेतन की मानो तो मुसीबत में पड़ते हो। जेल जाना पड़े, पिटाई हो, प्रतिष्ठा खो जाए, पत्नी नाराज हो जाए, बच्चे बरबाद हो जाएं। चेतन की मानो तो बड़े कष्ट हैं, अचेतन की मानो तो उससे भी बड़े कष्ट हैं। इसलिए दंड है। दंड इसलिए है ताकि दो कष्टों के बीच तुम्हें चुनना पड़े। तो जो छोटा कष्ट है, उसी को हम चुन लेते हैं। छोटा कष्ट