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जीने में जीवन है
__ मैंने सुना है, अमरीका की एक दुकान पर एक पति-पत्नी खिलौना खरीदते थे अपने बच्चे के लिए। एक खिलौना था टुकड़े-टुकड़े में, जमाने का खेल था, उनके टुकड़े जम जाएं तो खिलौना बन जाए। पहले पत्नी ने उसे जमाने की खूब कोशिश की, वह जमे नहीं। फिर उसने अपने पति की तरफ देखा, पति गणित का प्रोफेसर था। उसने कहा, लाओ, मैं जमाए देता हूं। उसने भी बहुत कोशिश की, लेकिन जमा नहीं। उसने कहा, यह तो हद्द हो गयी। दुकानदार से पूछा कि भई, मेरी पत्नी पढ़ी-लिखी है, इससे नहीं जमता, मैं गणित का प्रोफेसर हूं, मुझसे नहीं जमता, तो मेरे छोटे बच्चे से कैसे जमेगा?
उस दुकानदार ने कहा, आप ने पहले ही क्यों नहीं पूछा? यह खिलौना बनाया ही इस तरह गया है कि जमता ही नहीं। इससे बच्चे को शिक्षा मिलती है कि ऐसा ही जीवन है। यह जीवन की तरफ इशारा देने के लिए बनाया गया खिलौना है, इस खिलौने का नाम है—लाइफ। इसका नाम है-जीवन। आपने देखा नहीं, इस पर लिखा हआ है, डिब्बे पर-जीवन। यह बनाया ही गया है इस तरह से कि यह जमता नहीं। यह तो एक अनुभव के लिए है कि बच्चा समझने लगे कि यहां कुछ चीजें हैं जो कभी हल नहीं होंगी। बुद्धिमानी इसमें है कि जो हल न होता हो उसे हल करने की कोशिश न की जाए।
हजारों साल से आदमी सोचता रहा है, जीवन क्या है? कोई उत्तर नहीं है। झेन फकीर ठीक-ठीक उत्तर देते हैं।
एक झेन फकीर अपनी चाय पी रहा था और एक आगंतुक ने पूछा, जीवन क्या है? उसने कहा, चाय की प्याली। आगंतुक बड़ा विचारक था, उसने कहा, चाय की प्याली! मैंने बड़े उत्तर देखे, बड़ी किताबें पढ़ीं, यह भी कोई बात हुई! मैं इससे राजी नहीं हो सकता। तो उस फकीर ने कहा, तुम्हारी मर्जी! चलो भई, तो जीवन चाय की प्याली नहीं है; और क्या करना है!
लेकिन फकीर ने बात ठीक कही, सारे उत्तर. ऐसे ही व्यर्थ हैं। जीवन की प्याली को चाहे चाय की प्याली कहो, चाहे चाय की प्याली न कहो, क्या फर्क पड़ता है! आदमी के सब उत्तर व्यर्थ हैं। आदमी उत्तर खोज नहीं पाया। आदमी उत्तर खोज नहीं पाएगा। क्योंकि बुद्धि छोटी है, अस्तित्व विराट है। अंश पूर्ण को नहीं समझ सकता है, लेकिन पूर्ण को जी सकता है, पूर्ण में डुबकी ले सकता है, पूर्ण के साथ एकरूप हो सकता है; एकात्म हो सकता है।
ध्यान का अर्थ इतना ही होता है कि हम जीवन को सुलझाने की व्यर्थ कोशिश में न पड़ें, हम जीवन को जीने की चेष्टा में संलग्न हो जाएं।
एक पल भी मत खोओ। जो पल गया, गया, सदा के लिए गया, फिर न लौट सकेगा। प्रत्येक पल को जीवन के उत्सव में संलग्न कर दो। प्रत्येक पल को जीवन की प्रार्थना में लीन कर दो। प्रत्येक पल को जीवन की डुबकी में समाहित कर दो।
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