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एस धम्मो सनंतनो निन्यानबे इसीलिए ईमानदार होते हैं कि बेईमानी करने के कारण पकड़े जाने का भय है। ईमानदार नहीं हैं, सिर्फ पकड़े जाने का भय है। अगर कोई आश्वस्त कर दे कि कोई भय नहीं है, तुम करो, तो वे करने को तत्पर हो जाएंगे।
इसीलिए ऐसा हो जाता है कि जब कोई आदमी सत्ता में नहीं होता तब तक ईमानदार होता है, क्योंकि तब तक पकड़े जाने का डर होता है। जैसे ही सत्ता में पहुंचता है, धीरे-धीरे पकड़े जाने का डर समाप्त हो जाता है-कौन पकड़ेगा आकर? तुम प्रधानमंत्री हो गए, कि राष्ट्रपति हो गए, अब तुम्हें कौन पकड़ेगा? अब तो तुम कानून की छाती पर बैठ गए, अब तो हर चीज तुम्हारे नीचे हो गयी-तो धीरे-धीरे जैसे-जैसे उसको समझ में आने लगता है कि अब तो सब चीज मेरे हाथ में है, वैसे-वैसे सारे रोग जो भीतर दबे थे बाहर आने लगते हैं। हर सत्ताधिकारी बेईमान हो जाता है, धोखेबाज हो जाता है। __ इसलिए तुम हैरान होते हो कि आखिर यह क्यूं होता है ? कि अच्छे लोगों को हम भेजते हैं सत्ता में-अच्छे के कारण ही भेजते हैं, चुनाव में वोट देते हैं कि आदमी अच्छा है, भला है, फिर यह हो क्या जाता है? पद पर पहुंचते ही आदमी धीरे-धीरे बदल क्यों जाता है ? कब बदल जाता है? कैसे बदल जाता है ? __इसकी बदलाहट का राज इतना ही है कि वह अच्छा था नैतिक आधार पर, अच्छा था क्योंकि बुरे होने में नुकसान था, अच्छा था क्योंकि बुरे होने में भय था, अच्छा था क्योंकि अच्छे में ही लाभ था। अब सत्ता में पहुंच गया, अब उसे दिखायी पड़ता है-अब अगर बुरा हो जाऊं तो खूब लाभ है। अब अच्छे होने में ज्यादा लाभ नहीं है, अब अच्छे होने में तो हानि है। अगर सत्ता में पहुंचकर अच्छा बना रहा, तो न धन इकट्ठा कर पाऊंगा, न शक्ति इकट्ठी कर पाऊंगा, न दुश्मनों से बदला ले पाऊंगा, न आगे तक के लिए अपना इंतजाम कर पाऊंगा, न मेरे बच्चे भी आगे जाकर सत्ता में बैठे रहें इसकी व्यवस्था जुटा पाऊंगा, तो अब तो अच्छे रहने में कोई लाभ नहीं है। वह अच्छा था लाभ के कारण। अब बुरे होने में लाभ है। और लाभ उसका मूल आधार था। तो जब लाभ अब बुरे होने में है तो बुरा हो जाना ही सहज, तर्कयुक्त बात है। इसलिए दुनिया में सभी सत्ताधिकारी बुरे हो जाते हैं।
और आदमी सदा से यही सोचता रहा कि मामला क्या हो जाता है! हम भेजते हैं समाज-सेवकों को, आखिर में सब बात बदल जाती है! जो समाज-सेवा करते थे, गरीबों की सेवा करते थे, ऐसा करते थे, वैसा करते थे, सत्ता में पहुंचते ही सब भूल जाते हैं, शोषण शुरू कर देते हैं। जिनके खिलाफ लड़कर पहुंचे थे, वही करना शुरू कर देते हैं। सत्ता सभी को एक सा कर डालती है। __ क्यों? क्योंकि अधिकतर आदमी धार्मिक नहीं हैं, नैतिक हैं। नैतिक आदमी का कोई भरोसा नहीं।
मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन एक लिफ्ट में सवार था। एक महिला भी साथ
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