SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एस धम्मो सनंतनो दोनों एक-दूसरे को दंड देने में उत्सुक थे। इससे दुनिया बेहतर नहीं हो गयी। अंधा लंगड़ा भी हो गया, और लंगड़ा अंधा भी हो गया, हालत और खराब हो गयी। शायद इसीलिए अब भगवान इतनी जल्दी दया नहीं करता और ऐसे आ-आकर प्रगट नहीं हो जाता, और कहता नहीं कि वरदान मांग लो। बहुत बार करके देख लिया, आदमी की मूढ़ता बड़ी गहरी मालूम पड़ती है। तुम कहते हो-बीसवीं सदी में—कि 'अगर परमात्मा मेरे सामने प्रगट भी हो जाए तो मैं अपनी शांति मांगने के बजाय उनके लिए दंड मांगूंगा, जिनके कारण दुनिया में दुख है।' ___ पहली तो बात, तुम्हारे कारण दुख है। फिर तुम सोचते भला होओ कि दूसरों के कारण दुख है। उनके लिए दंड मांगने से क्या हल होगा? हो सकता है तुम्हें बड़ी नाराजगी है, तुम्हारे दफ्तर में जो तुम्हारा मालिक है वह बड़ा दबा रहा है, और तुम्हें दबना पड़ रहा है। लेकिन तुम्हारे घर में तुम्हारी पत्नी बैठी है, उसे तुम दबा रहे हो, और उसे बड़ा दबना पड़ रहा है। तुम उसे समझाते हो कि पति तो परमात्मा है। सदियों से तुमने समझाया है। और वह जानती है तुम्हें भलीभांति कि अगर तुम परमात्मा हो तो परमात्मा भी दो कौड़ी का है। तुम्हारे साथ परमात्मा तक की बेइज्जती हो रही है, तुम्हारी इज्जत नहीं बढ़ रही। तुम्हारे साथ परमात्मा के जुड़ने से परमात्मा तक की नौका डूबी जा रही है। उसे तुम सता रहे हो सब तरह से, उसका तुमने सब तरह से शोषण किया है। अगर पत्नी से पूछेगा परमात्मा तो वह तुम्हारे लिए दंड की व्यवस्था करेगी। ___ पत्नी कुछ नहीं कर सकती, अपने बच्चों को सता रही है। उसके पास और कुछ उपाय नहीं है। वह किन्हीं भी बहानों से बच्चों को सताने में लगी है। अच्छे-अच्छे बहाने खोजती है। बच्चों के भले के लिए ही उनको मारती है। बच्चे भी जानते हैं कि इससे भले का कोई लेना-देना नहीं है। आज पिताजी और माताजी में बनी नहीं है, इसलिए बच्चे सावधान रहते हैं कि आज झंझट है! या तो इधर से पिटेंगे, या उधर से पिटेंगे। अगर बच्चों से परमात्मा पूछे, तो? तो शायद वह अपनी मां को दंड दिलवाना चाहेगा। कौन बच्चा नहीं दिलवाना चाहता अपनी मां को दंड! दुष्ट मालूम होती है। ___ अगर एक-एक से पूछने जाओगे तो तुम पाओगे, हम सब जुड़े हैं। किसके लिए दंड दिलवाओगे? और दंड दिलवाने से क्या लाभ होगा? सभी को दंड मिल जाएगा-अंधे लंगड़े हो जाएंगे, लंगड़े अंधे हो जाएंगे-दुनिया और बदतर हो जाएगी। शायद इसी डर से भगवान तुम्हारे सामने प्रगट भी नहीं होता कि ऐसे ही हालत खराब है, अब और खराब करवानी है! तुम अपनी शांति न मांगोगे? किसी को यहां अपने सुख में रस नहीं मालूम होता, दूसरे को दुख देने में रस मालूम होता है। फिर भी तुम कहते हो, 'दुनिया में दुख क्यों है?' 44
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy