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________________ एस धम्मो सनंतनो बुद्ध और महावीर के वचन पृथ्वी पर जमे हुए वृक्षों की तरह हैं। __भेद समझना। बुद्ध और महावीर तुम्हारे जैसे ही आदमी हैं। उनका भगवान होना आकाश से अवतरण नहीं है, ऊर्ध्वगमन है। वे तुम्हारी ही तरह धक्के खाते, परेशान होते, टटोलते-टटोलते, धीरे-धीरे आंखों को उपलब्ध हुए हैं। उनका अतीत और तुम्हारा अतीत एक जैसा है। इसलिए उनके वचन तुम्हारे लिए बहुत कारगर होंगे। वे जो कह रहे हैं, तुम्हें जानकर कह रहे हैं। वे तुमसे भलीभांति परिचित हैं, क्योंकि वे अपने से परिचित हैं। वे तुम्हें जानते हैं, क्योंकि वे अपने को जानते हैं। उनकी तुम पर महाकरुणा होगी, क्योंकि वे जानते हैं, कैसी अड़चन है! कैसी कठिनाई है! जब आदमी वासना में फंसा होता है, तो निकलना कितना मुश्किल है, यह उन्हें अपने अनुभव से पता है। बुद्ध बार-बार कहते हैं अपने भिक्षुओं को कि पिछले जन्म में मैं भी ऐसा ही फंसा था। उसके पहले मैं भी ऐसा ही उलझा था। भिक्षुओ, तुम निराश न होओ, हताश न होओ। मैं पहुंच गया देखो, ऐसे ही उलझा था। मैं निकल गया देखो, ऐसे ही उलझा था! तुमसे भी ज्यादा मेरी उलझन थी। तुमसे भी बड़ा मेरा पाप था। तुमसे भी बड़ी मेरी नासमझी थी। तुम हताश मत होओ। अगर मैं निकल आया, तो तुम भी निकल आओगे। मेरे निकल आने में तुम्हारे निकल आने का सबूत है, क्योंकि मैं तुम जैसा आदमी हूं। हिंदू और बौद्धों की भगवान की धारणा भिन्न है। हिंदू समझते हैं, भगवान का मतलब होता है जिसने दुनिया बनायी। बौद्ध कहते हैं, भगवान का अर्थ होता है जिसने दुनिया को जान लिया। बनाने-वनाने का सवाल नहीं है, बनायी तो किसी ने भी नहीं है, जिसने दुनिया को जान लिया। जिसने यह जान लिया कि दुनिया कैसे काम कर रही है। जो इस रहस्य से परिचित हो गया, वह भगवान है। हिंदू कहते हैं, भगवान पहले, फिर दुनिया। बौद्ध कहते हैं, पहले दुनिया, फिर भगवान। भगवान दुनिया के अनंत-अनंत अनुभवों के बीच उठा हुआ शिखर है। इत्र है। बहुत देखा, भटका, पाप किया, सब तरह की भूलें; सब नरकों में गए, सब स्वर्गों में गए; सुख देखे, दुख जाने; सब तरफ से, सब दिशाओं से जीवन को टटोला, और टटोलते-टटोलते-टटोलते एक दिन वह घड़ी आयी कि इस जीवन के पार उठ गए, ऊपर उठ गए, इस जीवन से मुक्त हो गए। इस मुक्ति का नाम भगवत्ता। इसलिए हिंदू और बौद्धों के बीच भगवान शब्द में कभी भी पर्यायवाची मत मान लेना, वे पर्यायवाची नहीं हैं। जब हिंदू कहते हैं राम भगवान, उनका अर्थ अलग है। उनका अर्थ यह है कि उन्होंने कभी पाप देखा नहीं। उन्होंने कभी पाप किया नहीं। वे शुद्ध उतरते हैं आकाश से-निर्मल, निष्कलुष। जब बुद्ध कहते हैं कि मैं भगवान हं, तो बुद्ध का अर्थ यह है, मैंने पाप देखा, जैसा तुम देख रहे हो। तुमसे भी ज्यादा देखा, लेकिन मैंने गौर से देखा, तुमने गौर से नहीं देखा, बस इतना ही फर्क है। तुम 328
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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