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________________ हम अनंत के यात्री हैं अदभुत बात पूछी–झेन फकीर इस तरह की बातें पूछते भी हैं, पूछा-यह बुहारी देना तुम बुद्ध के पूर्व कर रहे हो, या बुद्ध के पश्चात? ___अब यह भी कोई बात है! बुद्ध को हुए हजारों साल हो गए, अब यह सदगुरु जो स्वयं बुद्धत्व को उपलब्ध है, यह बुहारी देते इस भिक्षु से पूछता है कि यह बुहारी देना तुम बुद्ध के पूर्व कर रहे हो, या बुद्ध के पश्चात? प्रश्न पागलपन का लगता है। मगर परमहंसों ने कई बार पागलपन की बातें पूछी हैं, उनमें बड़ा अर्थ है। जीसस से किसी ने पूछा है कि आप अब्राहम के संबंध में क्या कहते हैं? अब्राहम यहूदियों का परमपिता, वह पहला पैगंबर यहूदियों का। इस बात की बहुत संभावना है कि अब्राहम राम का ही दूसरा नाम है-अब राम का। अब सिर्फ आदर-सूचक है, जैसे हम श्रीराम कहते हैं, ऐसे अब राम; अब राम से अब्राहम बना, इस बात की बहुत संभावना है। लेकिन अब्राहम पहला प्रोफेट है, पहला पैगंबर, पहला तीर्थंकर है यहूदियों का, मुसलमानों का, ईसाइयों का। उससे तीनों धर्म पैदा हुए। तो किसी ने जीसस से पूछा कि आप अब्राहम के संबंध में क्या कहते हैं? तो जीसस ने कहा, मैं अब्राहम के भी पहले हूं। हो गयी बात पागलपन की! जीसस कहां हजारों साल बाद हुए हैं, लेकिन कहते हैं, मैं अब्राहम के भी पहले हूं। इस झेन सदगुरु पेन ची ने इस भिक्षु से पूछा, यह बुहारी देना तुम बुद्ध के पूर्व कर रहे हो या बुद्ध के पश्चात? पर भिक्षु ने जो उत्तर दिया, वह गुरु के प्रश्न से भी गजब का है! भिक्षु ने कहा, दोनों ही बातें हैं, बुद्ध के पूर्व भी और बुद्ध के पश्चात भी। बोथ, बिफोर एंड आफ्टर। गुरु हंसने लगा। उसने पीठ थपथपायी। __इसे हम समझें। बुद्ध को हुए हो गए हजारों वर्ष, वह गौतम सिद्धार्थ बुद्ध हुआ था, पर बुद्ध होना उस पर समाप्त नहीं हो गया है। आगे भी बुद्ध होना जारी रहेगा। इस बुहारी देने वाले भिक्षु को भी अभी बुद्ध होना है। इसलिए प्रत्येक घटना दोनों है-बुद्ध के पूर्व भी, बुद्ध के पश्चात भी। बुद्धत्व तो एक सतत धारा है। एस धम्मो सनंतनो। हम सदा बीच में हैं। हमसे पहले बुद्ध हुए हैं, हमसे बाद बुद्ध होंगे, हमको भी तो बुद्ध होना है। गौतम पर ही थोड़े बात चुक गयी। ____ लेकिन हमारी नजरें अक्सर सीमा पर रुक जाती हैं। हमने देखा गौतम बुद्ध हुआ, दीया जला, हम दीए को पकड़कर बैठ गए-ज्योति को देखो, ज्योति तो सदा से है। इस दीए में उतरी, और दीयों में उतरती रही है, और दीयों में उतरती रहेगी। तो जीसस ठीक कहते हैं कि अब्राहम के पहले भी मैं हूं। यह मेरी जो ज्योति है, यह कोई ऐतिहासिक घटना नहीं है, यह तो शाश्वत है, यह सनातन है, अब्राहम बाद में हुआ, इस ज्योति के बाद हुआ, इस ज्योति के कारण ही हुआ, जिस ज्योति के कारण मैं हुआ हूं। यह परम ज्योति है। यह परम ज्योति शाश्वत है। न इसका कोई आदि है, न इसका कोई अंत है। 307
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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