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________________ एस धम्मो सनंतनो वह दिन जल्दी ही आएगा। करना ही पड़ेगा। जिस दिन बच्चे मां-बाप के खिलाफ बगावत करेंगे, उस दिन साफ होगी बात कि मनुष्य-जाति ने अनंतकाल से कितना अनाचार बच्चों के साथ किया है। ___ मगर अनाचार ऐसा है कि भोले-भाले बच्चे उसकी बगावत में विद्रोह भी नहीं कर सकते। उनको पता भी नहीं कि क्या सही है, क्या गलत है। तुम पर भरोसा इतना है, उनकी श्रद्धा इतनी सरल है कि तुम जो चाहो उन पर थोप दो। हिंदू.बना लो, मुसलमान बना लो, ईसाई बना लो, तुम्हें जो बनाना हो बना लो, क्योंकि बच्चा सरल है। बच्चा अभी इतना नरम है कि जैसा ढालो, ढाल लो। फिर एक दफा ढल गया, ढांचे में पड़ गया, फिर बहुत मुश्किल हो जाता है। ढांचा जब मजबूत हो जाता है, तुम कहते हो, बेटे, अब तुम्हें जहां जाना हो जा सकते हो। क्योंकि अब इस ढांचे को तोड़ना बहुत मुश्किल हो जाएगा। छोटा पौधा होता है, तब जहां झुकाना चाहो झुक जाता है। फिर बड़ा वृक्ष हो गया, फिर झुकना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर गलत भी ढांचे में पड़ गया तो फिर वही उसके जीवन की कथा हो जाती है। तो उन्होंने कसमें दिला रखी थीं कि जाना तो दूर, अगर रास्ते परं बुद्ध मिल जाएं, संयोगवशात कभी भिक्षा मांगते, तो प्रणाम भी न करना। बुद्ध की तो बात दूर, बुद्ध के भिक्षुओं को भी प्रणाम मत करना। क्योंकि कुछ न कुछ बुद्ध का बुद्ध के भिक्षुओं में भी तो होगा ही। और बुद्ध घूम रहे थे गांव-गांव, उनके भिक्षु भी घूम रहे थे गांव-गांव, डर स्वाभाविक होगा। ___ एक दिन कुछ बच्चे जेतवन के बाहर खेल रहे थे। जेतवन में बुद्ध ठहरे हुए थे। बच्चे बाहर खेल रहे थे, अपने खेल में मगन होंगे, दुपहरी आ गयी होगी, धूप तेज हुई होगी, प्यास लगी होगी-घर दूर, गांव के बाहर-जहां यह जेतवन था उसके बाहर खेलते-खेलते उन्हें प्यास लग गयी, वे भूल गए अपने माता-पिताओं और धर्मगुरुओं को दिए गए वचन और जेतवन में पानी की तलाश में प्रवेश कर गए कि शायद यहां पानी मिल जाए। बुद्ध ठहरे हैं, बुद्ध के भिक्षु ठहरे हैं, पानी जरूर होगा। संयोग की बात कि भगवान से ही उनका मिलना हो गया। सामने ही मिल गए बुद्ध। बैठे होंगे अपने वृक्ष के तले। भगवान ने उन्हें पानी पिलाया और बहुत कुछ और भी पिलाया। बुद्ध अगर पानी भी पिलाएं तो साथ ही कुछ और भी पिला ही देते हैं। पिला देते हैं, ऐसा चेष्टा से नहीं होता, बुद्ध के हाथ में छुआ पानी भी बुद्धत्व की थोड़ी खबर ले आता है। बुद्ध की आंख भी तुम पर पड़े तो भी कुछ तुम्हारे भीतर उमगने लगता है। बुद्ध तुम्हारी आंख में आंख डालकर भी देख लें, तो तुम्हारे भीतर बीज फूटने लगता है। __ बुद्ध ने बहुत कुछ और भी पिलाया-प्रेम भी पिलाया। 264
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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