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ध्यान का दीप, करुणा का प्रकाश
है। उस हवा के साथ तुम्हारे जीवन में नयी यात्रा की शुरुआत हो सकती है।
क्योंकि जिसने बुद्ध को देखा, वह बुद्ध जैसा न होना चाहे, यह असंभव है। जो बुद्ध के पास बैठा, उसके भीतर एक महत्वाकांक्षा न जग जाए कि कभी ऐसी शांति मेरी भी हो, ऐसा असंभव है। जगेगी ही ऐसी आकांक्षा। जिसने बुद्ध का प्रसाद देखा, सौंदर्य देखा, वह वैसा ही सुंदर होना चाहेगा। जिसने बुद्ध को नहीं देखा वह अभागा है, क्योंकि उसने अपने भविष्य को नहीं देखा।
बुद्ध में हम अपने भविष्य को देखते हैं। जिन में, क्राइस्ट में, कृष्ण में हम अपने भविष्य को देखते हैं। ये पूरे हो गए मनुष्य हैं। ये पूरे खिल गए फूल हैं। ये हजार पखुड़ियों वाला कमल पूरा का पूरा खिल गया है। इसे खिला हुआ देखकर हमें याद आती है कि हम अभी बंद हैं, हम अभी कली हैं, हम भी खिल सकते हैं। यह स्मरण ही जीवन में क्रांति का सूत्रपात हो जाता है। __तो बुद्ध का पता ही न चले, बुद्ध जैसे व्यक्ति भी होते हैं, इसकी भनक न पड़े, तो मां-बाप ने कहा था अपने बच्चों को कि बुद्ध की हवा में भी न जाना। उन्होंने उन्हें शपथें दिला रखी थीं। क्योंकि बच्चों का क्या भरोसा! बच्चे सीधे-साधे, भोले-भाले, अभी कह दें हां, घड़ीभर बाद चले जाएं! और बच्चों का यह भी डर है कि तुम जिस बात से उन्हें रोको कि वहां न जाएं, शायद वहां इसीलिए चले जाएं कि मां-बाप ने रोका, जरूर कुछ होगा। बच्चे बच्चे हैं। बच्चों का अलग गणित है। इनकार के कारण ही जा सकते हैं। ____तो उनको शपथ दिला रखी थी। उनको कसमें दिलायी थीं। कहा होगा कि हम मर जाएंगे अगर तुम बुद्ध के पास गए, खाओ कसम अपनी मां की, खाओ कसम अपने पिता की; उन्होंने कसमें भी खा ली थीं। छोटे बच्चे हैं, उनसे तुम जो करवाओ, करेंगे। तुम्हारे ऊपर निर्भर हैं। तुम उनकी हत्या करो तो भी गर्दन तुम्हारे सामने रख देंगे। कर भी क्या सकते हैं! तुम्हारे हाथ में उनका जीवन-मरण है।
मनुष्य-जाति ने बच्चों पर जितना अनाचार किया है उतना किसी और पर नहीं। जब सारी दुनिया में सब अनाचार मिट जाएंगे, तब शायद अंतिम अनाचार जो मिटेगा वह होगा मां-बाप के द्वारा किया गया बच्चों के प्रति अनाचार। और वह अनाचार दिखायी नहीं पड़ता, क्योंकि प्रेम की बड़ी हमने बकवास उठा रखी है। कि हम सब प्रेम के कारण कर रहे हैं। तुम बच्चे को मारो, तो प्रेम के कारण; पीटो, तो प्रेम के कारण; सिखाओ कुछ, तो प्रेम के कारण; तो बच्चा इनकार भी नहीं कर सकता, विद्रोह भी नहीं कर सकता।
सबसे पहले विद्रोह किया गरीबों ने अमीरों के खिलाफ, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि एक दिन स्त्रियां पुरुषों के खिलाफ बगावत कर देंगी। अब स्त्रियों ने बगावत की है पुरुषों के खिलाफ। अभी कोई सोच भी नहीं सकता है कि एक दिन बेटे, बच्चे मां-बाप के खिलाफ बगावत करेंगे। मैं तुमसे कहता हूं, आगाह रहना,
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