________________
ध्यान का दीप, करुणा का प्रकाश
वापस लौटे। बुद्ध के पास जाना और बुद्ध के बिना हुए लौट आना संभव भी नहीं है। इन लोगों से ही बुद्ध ने ये गाथाएं कही थीं। ___ गाथाओं के पहले इस छोटी सी कहानी को, सरल सी कहानी को ठीक से हृदय पर अंकित हो जाने दें। ___ जब भी कोई धार्मिक व्यक्ति इस पृथ्वी पर हुआ है, तो स्वभावतः विद्रोही होता है। धर्म विद्रोह है। धर्म का और कोई रूप होता ही नहीं। धर्म कभी परंपरा बनता ही नहीं। और जो बन जाता है परंपरा, वह धर्म नहीं है। परंपरा तो ऐसी है जैसे सांप निकल गया और रास्ते पर सांप के गुजरने से बन गए चिह्न छूट गए। परंपरा तो ऐसी है जैसे कि तुम तो गुजर गए, रास्ते पर बने हुए तुम्हारे जूतों के चिह्न छूट गए। __ कन्फ्यूसियस के जीवन में उल्लेख है कि वह लाओत्सू से मिलने गया था। यह मिलन परंपरा और धर्म का मिलन है। कन्फ्यूसियस है परंपरा-जो अतीत का है, वही श्रेष्ठ है। जो हो चुका, वही श्रेष्ठ है। सब श्रेष्ठ हो चुका है, अब और श्रेष्ठ होने को बचा नहीं है। कन्फ्यूसियस के लिए तो अतीत का स्मरण ही सार है धर्म का। वह परंपरावादी था। वह गया लाओत्सू को मिलने। लाओत्सू है धार्मिक। अतीत तो है ही नहीं उसके लिए और भविष्य भी नहीं है। जो है, वर्तमान है।
जब कन्फ्यूसियस ने अपनी परंपरावादी बातें लाओत्सू को कहीं तो लाओत्सू बहुत हंसा और उसने यही शब्द कहे थे। उसने कहा था, परंपरा तो ऐसे है जैसे आदमी तो गुजर गया और उसके जूते के चिह्न रेत पर पड़े रह गए। वे चिह्न आदमी तो हैं ही नहीं, आदमी के जूते भी नहीं हैं। जीवित आदमी तो है ही नहीं उन चिह्नों में, जीवित आदमी की तो छोड़ो, मुर्दा जूते भी उन चिह्नों में नहीं हैं। जूतों के भी चिह्न हैं वे। छाया की भी छाया है। ____ कन्फ्यूसियस तो बहुत डर गया था, उसने लौटकर अपने शिष्यों को कहा था, इस आदमी के पास भूलकर मत जाना। इसकी बातें खतरनाक हैं।
पर धर्म खतरनाक है ही। धर्म से ज्यादा खतरनाक और कोई चीज पृथ्वी पर नहीं है। लेकिन तुम अक्सर देखोगे भीरुओं को धार्मिक बने। कमजोरों को, नपुंसकों को धार्मिक बने। घुटने टेके, प्रार्थनाएं-स्तुति करते हुए, भयाक्रांत, उनका भगवान उनके भय का ही निचोड़ है।
तो निश्चित ही जिस धर्म को ये धर्म कह रहे हैं, वह धर्म नहीं हो सकता। धर्म तो खतरनाक ढंग से जीने का नाम है। धर्म का अर्थ ही है निरंतर अभियान। धर्म का अर्थ ही है पुराने और पिटे-पिटाए से राजी न हो जाना। नए की, मौलिक की खोज। धर्म का अर्थ है, अन्वेषण। धर्म का अर्थ है, जिज्ञासा, मुमुक्षा। धर्म का अर्थ है, उधार और बासे से तृप्ति नहीं। अपना अनुभव नहीं कर लेंगे, तब तक तृप्त नहीं होंगे। धर्म वेद से राजी नहीं होता, जब तक अपना वेद निर्मित न हो जाए। धर्म स्मृति में नहीं है, श्रुति में नहीं है, धर्म अनुभूति में है।
255