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________________ एस धम्मो सनंतनो बाजार है, एम.जी. रोड पर, वहां होना चाहिए मरघट। ठीक बीच बाजार में। ताकि जितनी बार तुम बाजार जाओ-सब्जी खरीदो, कि कपड़ा खरीदो, कि सिनेमा-गृह जाओ-हर बार तुम्हें मौत से साक्षात्कार हो, हर बार तुम देखो कि कोई चिता जल रही है। हर बार तुम देखो कि फिर कोई अर्थी आ गयी। बीच बाजार में होना चाहिए मरघट, क्योंकि जिंदगी के बीच में खड़ी है मौत। उसे हम बाहर हटाकर रखते हैं-दूर गांव के, जहां हमें जाना नहीं पड़ता। या कभी-कभी किसी के साथ जाना पड़ता है अर्थी में, तो बड़े बेमन से चले जाते हैं और जल्दी से भागते हैं वहां से। जाना वहीं पड़ेगा जहां से तुम भाग-भाग आते हो। जैसे तुम दूसरों को पहुंचा आए वैसे दूसरे तुम्हें पहुंचा आएंगे-ठीक ऐसे ही। ___ मैं छोटा था तो जैसा सभी घरों में होता है-कभी कोई मर जाए तो मेरी मां मुझे जल्दी से अंदर बुलाकर दरवाजा बंद कर लेती, चलो अंदर चलो, अंदर चलो! मैं पूछता, बात क्या है? वह कहती, अंदर चलो, बात कुछ भी नहीं है। मेरी उत्सुकता बढ़ी, स्वाभाविक था, कि बात क्या है? जब भी कोई हंडी लिए निकलता, बाजा-बैंड बजता, मुझे अंदर बुला लिया जाता, दरवाजा बंद कर दिया जाता-मौत दिखायी नहीं पड़नी चाहिए बच्चों को। अभी से इतनी खतरनाक बात दिखायी पड़े, कहीं जीवन में हताश न हो जाएं। मगर मेरी मां का दरवाजे को बंद करना मेरे लिए बड़ा कारगर हो गया; वह एक दरवाजे को बंद करतीं, मैं दूसरे से नदारद हो जाता। मैं धीरे-धीरे जो भी गांव में मरता उसी के साथ मरघट जाने लगा। फिर तो गांव में जितने आदमी मरे, मैं सुनिश्चित था, लोग मुझे पहचानने भी लगे कि वह लड़का आया कि नहीं! कोई भी मरे, इसकी फिर मुझे फिकर ही नहीं रही कि कौन मरता है, इससे क्या फर्क पड़ता है, फिर मैं जाने ही लगा। हर आदमी की मौत पर मरघट जाने लगा। और धीरे-धीरे बात यह मुझे खयाल में उस समय से आने लगी कि मरघट को गांव के बाहर छिपाकर क्यों बनाया है, दीवाल उठा दी है, सब तरफ से छिपा दिया है, कहीं से दिखायी न पड़े। एक म्युनिसिपल कमेटी में विचार किया जा रहा था मरघट के चारों तरफ बड़ी दीवाल उठाने का, सब पक्ष में थे, एक झक्की सा आदमी खड़ा हुआ और उसने कहा कि नहीं, इसका क्या सार! क्योंकि जो वहां दफना दिए गए हैं, वे निकलकर बाहर नहीं आ सकते; और जो बाहर हैं, वे अपने आप भीतर जाना नहीं चाहते, इसलिए दीवाल की जरूरत क्या? मगर दीवाल का प्रयोजन दूसरा है। उसका प्रयोजन है, जो बाहर हैं, उनको दिखायी न पड़े कि जीवन का सत्य क्या है। जीवन का सत्य है मृत्यु। जीवन महामारी है। क्योंकि जीवन सभी को मार डालता है। इसका कोई इलाज नहीं है। तुमने कभी सोचा, जीवन का कोई इलाज है! टी.बी. का इलाज है, कैंसर का भी इलाज हो जाएगा अगर नहीं है तो, मगर जीवन का कोई इलाज है! और जीवन 10
SR No.002387
Book TitleDhammapada 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1991
Total Pages362
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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